मेलबर्न : चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी जीत से आत्मविश्वास से ओतप्रोत भारत विश्व कप क्रिकेट के ग्रुप बी में कल यहां मजबूत दक्षिण अफ्रीका से भिड़ने के लिये पूरी तरह तैयार है।

पाकिस्तानी टीम विश्व कप में भारत के हाथों हार का सिलसिला नहीं तोड़ पायी लेकिन महेंद्र सिंह धोनी की टीम को उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चौथी बार भाग्य उसका साथ देगा। इससे पहले 1992, 1999 और 2001 में उसे अपने इस प्रतिद्वंद्वी से हार का सामना करना पड़ा था। चाहे 1992 में पीटर कर्स्टन हो या 1999 में जैक कैलिस और 2011 में कैलिस और एबी डिविलियर्स, भारत को हमेशा दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों के अच्छे प्रदर्शन के कारण हार झेलनी पड़ी। इन तीनों मैचों में भारत ने पहले बल्लेबाजी की और यह देखना दिलचस्प होगा कि टास जीतने की स्थिति में धोनी क्या फैसला करते हैं।

टूर्नामेंट में लीग चरण के मैच हालांकि बहुत अधिक महत्व नहीं रखते हैं लेकिन इस मैच का विजेता ग्रुप बी में शीर्ष पर पहुंच सकता है और इसलिए दोनों टीमें इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर होने वाले इस मैच में डिविलियर्स की अगुवाई वाली दक्षिण अफ्रीकी टीम को धोनी के नेतृत्व वाली युवा टीम के सामने जीत का दावेदार माना जा रहा है। यदि खिलाड़ियों की बात की जाए तो दक्षिण अफ्रीकी टीम काफी मजबूत नजर आती है। जिम्बाब्वे के खिलाफ 62 रन की जीत में दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज नहीं चल पाये थे लेकिन जेपी डुमिनी और डेविड मिलर ने पासा पलटने में अहम भूमिका निभायी।

विराट कोहली का पिछले मैच में 22वां वनडे शतक तथा सुरेश रैना और शिखर धवन की फार्म में वापसी से भारतीय टीम का मनोबल बढा है लेकिन दक्षिण अफ्रीकी आक्रमण के सामने उन्हें पूरी तरह से अलग तरह की परीक्षा से गुजरना होगा। उसके आक्रमण की अगुवाई डेल स्टेन और मोर्ने मोर्कल जैसे दुनिया की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी जोड़ी कर रही है जिन्हें किसी भी पिच पर खेलना आसान नहीं है और यहां एमसीजी पर तो असमान उछाल मिलने की संभावना भी है।

यही नहीं वर्नोन फिलैंडर तीसरे तेज गेंदबाज के रूप में उपयोगी साबित हो सकते हैं। साइनस से उबरने वाले स्टेन जिम्बाब्वे के खिलाफ पहले मैच में छाप नहीं छोड़ पाये थे। वह पहले बदलाव के रूप में आये और उन्होंने नौ ओवर में 64 रन दिये। रोहित शर्मा पाकिस्तान के खिलाफ रन बनाने की निराशा से जल्द उबरना चाहेंगे लेकिन कोहली और स्टेन का मुकाबला उसी तरह से देखने लायक होगा जैसे कि तेंदुलकर और स्टेन के बीच मुकाबला होता था।

स्टेन जहां अपनी तेजी और स्विंग से भारतीयों को परेशान कर सकते हैं वहीं छह फीट चार इंच लंबे मोर्कल की उछाल और फिलैंडर की मूव करती गेंदें बल्लेबाजों के धर्य और तकनीक की परीक्षा लेंगी। यदि फिलैंडर अंतिम एकादश में जगह नहीं बना पाते हैं तो फिर काइल एबट या वायने पर्नेल में से कोई उनका स्थान लेगा। भारतीयों को इमरान ताहिर की लेग स्पिन से निबटने में ज्यादा परेशानी नहीं होनी चाहिए। दक्षिण अफ्रीकी टीम प्रबंधन के पास बायें हाथ के स्पिनर एरोन फैंगिशो के रूप में एक और विकल्प भी है।

पिछले मैच में भारतीय गेंदबाजों को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी थी लेकिन निरंतर अच्छा प्रदर्शन करने वाले हाशिम अमला, फाफ डु प्लेसिस, डिविलियर्स, मिलर और डुमिनी के सामने उन्हें कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। मिलर और डुमिनी ने जिम्बाब्वे के खिलाफ शतक जमाकर दिखाया कि वे जरूरत पड़ने पर बड़ी पारी खेलने में सक्षम हैं।

भारत के तीनों तेज गेंदबाजों उमेश यादव, मोहित शर्मा और मोहम्मद शमी को अपनी लेंथ में किसी भी तरह की गलती करने से बचना होगा क्योंकि यह तय है कि अनुशासनहीन गेंदबाजी करने पर बल्लेबाज उन्हें कड़ी सजा देंगे। भारत की उम्मीदें हालांकि अपनी स्पिन जोड़ी रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन पर टिकी रहेंगी। यदि भारतीय स्पिनर 20 ओवरों में दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों के लिये परेशानी खड़ी कर सकते हैं तो फिर भारत पासा पलट सकता है।