लखनऊ:  भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री आजम खां द्वारा राज्यपाल को खुला पत्र लिखने का मामला न सिर्फ संविधान का अपमान है, बल्कि बेजवह हिंदू और मुसलमानों के बीच खाई पैदा करने की कोशिश भी है। माननीय आजम खान उस सरकार की नुमाइंदगी करते हैं जो कथित रूप से अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को विशेष महत्व देने का दावा करती है।

पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि लेकिन आजम का यह बयान कि माननीय राज्यपाल के कुछ कथनों से प्रदेश के मुसलमानोें में असुरक्षा की भावना पैदा हुई है, अखिलेश सरकार पर ही प्रश्न चिन्ह लगाता है। क्या माननीय राज्यपाल के बयानों की आड़ में आजम साहब यह कहना चाहते हैं कि राज्य की सपा सरकार में मुसलमान सुरक्षित नहीं है, क्योंकि कानून व्यवस्था का मामला पूरी तरह राज्य सरकार के अधीन है न कि महामहिम राज्यपाल के अधीन। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि आजम खां रामपुर की परिसंपत्तियों को सरकारी मुहर के जरिए उन संस्थानों को तेजी से हस्तांतरित करते जा रहे हैं, जिनके कर्ताधर्ता वे स्वयं या उनके निकट के लोग हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो वे अपने संस्थानों पर उठते सवाल का यू बेतुकी से जवाब नहीं देते। वे महामहिम राज्यपाल के साथ एक बनावटी विवाद पैदा कर लोगों की आंखों में धूल झोक रहे हैं। रामपुर में अपनी संपत्ति का विस्तार वे लगातार करते जा रहे हैं। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि अभी हाल ही में एक मामला यह सामने आया था कि रामपुर की पुलिस किसानों को डरा घमका कर उनकी जमीनें औने पौने दाम पर आजम खां के करीबियों के नाम लिखवा रही है। आजम खान न सिर्फ मुसलमानों के हित के नाम पर मुलायम सिंह और अखिलेश यादव का भयादोहन कर रहे हैं, बल्कि वे मुसलमानों का ही शोषण कर रहे हैं। मुसलमानों के नाम पर आजम खां न सिर्फ मंत्रिमंडल में अपनी मनमानी के लिए मशहूर रहे हैं, बल्कि भरपुर व्यक्तिगत फायदा भी उठा रहे हैं। आजम खां का मुस्लिम प्रेम और उनकी चिंता वहां जाकर रूक जाती है, जब अपनी पत्नी को खुद सपा के कोटे से राज्य सभा भिजवाते हैं। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि आजम पूरे प्रदेश के मंत्री हैं लेकिन उनका सारा ध्यान रामपुर में रहता है। वे प्रदेश के अन्य जिलों में रह रहे मुसलमानों के हितों की परवाह नहीं करते। यही कारण है कि सपा के ही मुस्लिम नेताओं के बीच ही उनका जबर्दस्त विरोध हे। आजम खान ने पत्र लिखकर न सिर्फ राज्यपाल की पद व उनकी गरिमा पर कुठाराधात किया है, बल्कि मंत्री के रूप अपनी सीमाओं का भी खुला उल्लंघन किया है। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि उनके इस गैरजिम्मेदाराना कृत्य के लिए ना तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने ही कोई विरोध जताया है और न राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोई प्रतिक्रिया जारी की है। क्या सपा नेतृत्व आजम खां को संविधान और शासन के कायदे से उपर मानता है या संचमुच मुसलमानों के मन में भय पैदा करना चाहता है। सपा को आज नही ंतो कल इसका जवाब देना ही होगा।