लंदन: एक बेहद रोचक अध्ययन में पता चला है कि जहां अधिकांश महिलाओं का मानना है कि साथी पुरुष उनके मित्रवत व्यवहार को सेक्स के संकेत के रूप में लेते हैं, वहीं पुरुषों का मानना है कि महिलाएं अक्सर सेक्स की इच्छा के उनके संकेतों को मित्रता समझ बैठती हैं।

नॉर्वे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एनटीएनयू) के शोधकर्ता मोन्स बेंडिक्जेन ने कहा कि अगर विकास के नजरिए से देखा जाए तो शोध के परिणाम चौंकाने वाले नहीं हैं। शोधकर्ताओं ने 18 से 30 के बीच आयु वाले 308 प्रतिभागियों के साथ यह अध्ययन किया । प्रतिभागियों में 59 फीसदी महिलाएं थीं।

शोध के अनुसार पुरुषों और महिलाओं ने पाया कि उनके विपरीत लिंगी साथियों ने उनके संदेशों का गलत मतलब निकाला। शोध पत्रिका ‘इवोल्यूशनरी साइकोलॉजी’ में प्रकाशित शोध के अनुसार, महिला प्रतिभागियों ने कहा कि उन्होंने जब अपने किसी पुरुष साथी के प्रति मित्रवत व्यवहार दर्शाया तो पिछले एक वर्ष के दौरान लगभग 3.5 बार उसका सेक्स के प्रति इच्छा से मतलब निकाला गया।

पुरुषों ने भी साथी महिलाओं से इसी तरह की समस्या जताई ,लेकिन पुरुषों के मामले में प्रतिशत कम रहा। शोधकर्ताओं के अनुसार यदि विकासवादी मनोविज्ञान के नजरिए से देखा जाए तो इसे ज्यादा अच्छी तरह समझा जा सकता है कि पुरुष अक्सर क्यों बातचीत के दौरान महिला साथियों के मुस्कुराने और हंसने को सेक्स की इच्छा व्यक्त करने के रूप में ले लेते हैं।

बेंडिक्जेन इसे स्पष्ट करते हैं कि एक पुरुष की संतानोत्पत्ति की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितनी महिलाओं को गर्भवती करने की क्षमता रखता है। लेकिन महिलाओं के मामले में ऐसा नहीं है। एक महिला एक छोटी सी अवधि में कई पुरुषों के साथ बिना बच्चा पैदा किए सेक्स संबंध स्थापित कर सकती है।

इस तरह पुरुषों के लिए सेक्स का मामला कहीं कम जोखिम वाला हो जाता है और किसी महिला के साथ सेक्स उसके लिए किसी अवसर की तरह होता है। दूसरी ओर महिलाओं के लिए इस तरह का संबंध अधिक जोखिम भरा रहता है, क्योंकि उसके सामने इसके कारण गर्भवती होने, बच्चा पैदा करने, उनका पालन-पोषण करने का जोखिम हो सकता है और साथ ही दूसरे पुरुष के साथ बच्चे पैदा करने का अवसर कम करने वाला होता है।