नई दिल्ली। कोर्ट ने रेप के झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं को आड़े हाथों लेने का फैसला कर लिया है। दिल्ली कोर्ट का कहना है कि रेप के झूठे आरोपों के चलते क्राइम ग्राफ बढ़ रहा है। ये अक्सर देखा गया है कि किसी व्यक्ति को रेप का आरोपी पाए जाने की खबर फौरन ही समाज में फैल जाती है और इसके बाद उसे गंदी नजरों से देखा जाता है।

कोर्ट ने कहा कि, जहां एक तरफ रेप की घटना का शिकार होने वाली पीडिता को भारी अपमान का सामना करना पड़ता है। वहीं झूठे रेप के आरोप में फंसे पीडित को भी इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एडिशनल सेशन जज विरेंदर भट ने कहा, “रेप आरोपी और उसके परविार दोनों को ही बहिष्कृत कर दिया जाता है। हर जगह पर उसे अपमान का सामना करना पड़ता है। यही नहीं कोर्ट से रेप आरोपी को बइज्जत बरी कर देने के बावजूद उसे अपना खोया हुआ सम्मान और गरिमा नहीं मिलती।”

कोर्ट ने हाल ही में एक दिल्ली के बिजनेसमैन के ऊपर अपना हिसाब बराबर करने वाली एक महिला के मामले को लेकर भी बयान दिया। कोर्ट ने कहा, “झूठे सबूत पेश करने के मामले में अगर अभियोक्ता (महिला) के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तो ये कोर्ट अपने कर्तव्य में विफल होगा।”