लखनऊ – मौलाना अरशद मदनी के बयान पर अपने शदीद रद्दे अमल का इज़हार करते हुए इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग के सूबाई जनरल सेक्रेट्री डाक्टर मोहम्मद मतीन ख़ाँ ने कहा है कि मीडिया में मौलाना अरशद मदनी साहब ने मुस्लिम लीग का मुवाजि़ना आर एस एस से किया है। आर एस एस एक मज़हबी तंज़ीम है जिसका मक़सद हिन्दोस्तान को एक हिन्दू राष्ट्र बनाना है। उसके अलावा वह मुसलमानों, ईसाइयों और दीगर अक़लियतों को हिन्दू बनाना चाहती है। ये ‘‘घर वापसी’’ की तहरीक अब पूरे मुल्क में फैलाई जा रही है। उसकी बनिस्बत आॅल इण्डिया मुस्लिम लीग कोई मज़हबी तहरीक नहीं थी। ये एक सियासी तंज़ीम थी जो ब्रिटिश इण्डिया के मुसलमानों की नुमाइन्दगी करती थी। ब्रिटिश गवर्नमेण्ट ने असेम्बली और पार्लियामेण्ट में क़ौम के नुमाइन्दों का इन्तिख़ाब करने के लिए एक अलग इन्तिख़ाबी सिस्टम बनाया थ। इण्डियन नेशनल कांग्रेस, मुस्लिम लीग और दीगर सियासी जमातों ने इस अलैहिदा इन्तिख़ाबी निज़ाम को क़ुबूल किया था और अपने अपने उम्मीदवार खड़े किये थे और नतायज को भी क़ुबूल किया था। दूसरी तरफ़ आर एस एस कभी भी जम्हूरी इन्तिख़ाबात में हिस्सा नहीं लिया था। मौलाना का ये ख़याल बिल्कुल ग़लत है कि सिर्फ़ मुस्लिम लीग ने ही इस अलैहिदा इन्तिख़ाबी निज़ाम की बुनियाद पर एसेम्बली और पार्लियामानी इन्तिख़ाबात में हिस्सा लिया था। कांग्रेस ने कभी इन्तिख़ाबात का बाॅयकाट नहीं किया। अगर वह इस इन्तिख़ाबी निज़ाम को क़ुबूल नहीं करती तो क्योंकर वह इन्तिख़ाबात में हिस्सा ले सकती थी। दर असल ये कहना कि आर एस एस, मुस्लिम लीग की राह पर चल रही है तारीख़ को मस्ख़ करने की कोशिश है। आज़ादी के बाद भी आर एस एस पूरे मुल्क को हिन्दू बनाने की अपनी कोशिशों में मसरूफ़ है। इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग आज़ाद हिन्द में आज भी क़ौमी यकजहती, फि़रक़ावाराना हमआहन्गी, और मुख़्तलिफ़ मज़हबी अक़वाम की तहज़ीबी शिनाख़्त को बरक़रार रखने के लिए जिद्दो जेहद कर रही है। इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग का मक़सद फि़रक़ावाराना हम आहन्गी और बाहमी समाजी इत्तिहाद है जबकि आर एस एस अलैहिदगी पसन्द, हिन्दुस्तानी सक़ाफ़त व तहज़ीब की रवायतों को ख़त्म करने और लोगोें के दिलों में एक दूसरे के लिए नफ़रत और दुश्मनी पैदा करने का काम कर रही है। मौलाना ने मुस्लिम लीग को आर एस एस के बराबर क़रार देकर अपनी मायूसाना सोच का इज़हार किया है।