नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में सरकार गठन का दावा पेश करने के लिए 87 सदस्यीय विधानसभा में जरूरी संख्या बल जुटाने में राजनीतिक दलों के विफल रहने के बाद आज वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया। राज्यपाल एन एन वोहरा ने कल रात यह कहते हुए राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट सौंपी थी कि उमर अब्दुल्ला ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद से मुक्त कर देने का अनुरोध किया है, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि इस रिपोर्ट में कई सुझाव थे जिनमें एक किसी भी दल के सरकार गठन के लिए जरूरी संख्याबल नहीं जुटा पाने के आलोक में राज्यपाल शासन का विकल्प था। हाल के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कल रात यह रिपोर्ट जरूरी कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी थी।

राज्य में राज्यपाल शासन जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत लगाया गया है। यह अनुच्छेद राज्यपाल को राज्य में संवैधानिक मशीनरी के विफल होने की स्थिति में राज्यपाल शासन की घोषणा करने की इजाजत देता है। समझा जाता है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्यपाल शासन के लिए अपनी सहमति दे दी है। राज्य में वर्ष 1977 के बाद छठी बार राज्यपाल शासन लगाया गया है।

चुनाव नतीजे आए 15 दिन से ज्यादा हो गए हैं और अब तक न तो सबसे बड़ी पाटी पीडीपी और न ही दूसरे स्थान पर रही भाजपा सरकार गठन का दावा करने के लिए 44 के जादुई आंकड़ा जुटा पायी। विधानसभा में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, जबकि भाजपा 25 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। नेशनल कांफ्रेेस को 15 सीटें मिली जबकि कांग्रेस के खाते में 12 सीटें गयीं। नयी सरकार का गठन 19 जनवरी तक हो जाना जरूरी था क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल उस दिन तक है। उमर के फैसले के कारण ही शायद राज्यपाल को गृहमंत्रालय को तत्काल रिपोर्ट भेजनी पड़ी। जम्मू कश्मीर 12 साल में दूसरी बार इस स्थिति से गुजर रहा है।