हार्ड-कोर एक्शन से लेकर रोमांस, कॉमेडी, थ्रिलर, ड्रामा और हॉरर तक, अक्षय कुमार सब कर सकते हैं। और अब एक बार फिर, बच्चन पांडे के वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर के साथ, वो अपने अचूक स्वैग, अपने बेमिसाल अंदाज़ और गज़ब की स्टार पावर के साथ वापस आए हैं, जिसकी बराबरी कोई और नहीं कर सकता! इस अवतार को निभाने की अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए, अक्षय कुमार ने अपनी इस प्रोसेस, अपने को-स्टार्स और बहुत-सी बातों पर चर्चा की। उनकी फिल्म बच्चन पांडे का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर 31 जुलाई को रात 8 बजे ज़ी सिनेमा पर हो रहा है।
मैंने अतीत में कुछ ग्रे किरदार निभाए हैं और महसूस किया है कि हर व्यक्ति में एक नकारात्मक तत्व होता है। आपको बस इतना करना है कि जब आप ऐसे किसी किरदार को स्क्रीन पर निभाएं तो उस तत्व को बाहर लाएं। इसमें एकमात्र मुश्किल हिस्सा अपनी पत्थर की आंख के लिए विशाल लेंस पहनना था। कुल मिलाकर, मेरा लुक मेरे पिछले सभी किरदारों से बहुत अलग था और इसके फाइनल लुक में आना बड़ी दिलचस्प प्रक्रिया थी।
एक किरदार को समझना और उसमें ढलना हमेशा आसान नहीं होता है। लेकिन कृति इसे बड़ी आसानी से कर लेती हैं। जब बात अपने किरदार की आती है, तो वह काफी फोकस्ड रहती हैं जो कि बहुत महत्वपूर्ण है। अरशद के बारे में कहूं तो वो एक एक्सपर्ट हैं, वो सेट पर इतना स्वाभाविक होता है, जो आप पर भी भारी पड़ता है। पूरी टीम जैसलमेर में एक साथ शूटिंग कर रही थी। जब आप इतना समय एक साथ बिताते हैं, तो आप सीखते हैं, अनलर्न करते हैं, फिर से सीखते हैं, बिल्कुल एक परिवार की तरह!
यह एक कमर्शियल मसाला फिल्म है और मैं काफी समय बाद इस तरह की फिल्म कर रहा हूं। वो मेरे लिए सबसे रोमांचक था। साथ ही मैं लंबे समय के बाद एक ग्रे किरदार निभा रहा था और मैं इसका मज़ा ले रहा था। मेरे लिए, यह किरदार निभाना भी खास था – जो पहले बड़ा खतरनाक होता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी सामने आती है, धीरे-धीरे आपको उससे प्यार होने लगेगा।
लोग मुझसे कहते हैं कि तुम एक साल में इतनी फिल्में क्यों करते हो? लेकिन मैंने अपनी ज़िंदगी में तीन चीजें समझी हैं – काम, कमाई और कर्म! मैं जितनी मेहनत कर सकता हूं, उतनी मेहनत करता हूं ताकि मैं उतना कमा सकूं। मैं अपने रास्ते में आने वाले किसी भी काम को ना नहीं कहता – कैसा भी रोल हो, कोई भी फंक्शन हो, किसी भी चीज़ की ऐड करनी हो। क्योंकि काम से आती है कमाई और उससे मैं अच्छे कर्म करने की कोशिश करता हूं। तो आप जितना काम करते हैं, उतना कमाते हैं और समाज को उतना ही वापस देते हैं। मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है।
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