विविध

सड़क दुर्घटनाओं को कण्ट्रोल करेगा ʺरोड क्रैश ट्रैकर‘’

रोड सेफ्टी नेटवर्क ने सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों को कम करने के लिए पेश किये सुझाव

नई दिल्ली: देश भर के प्रमुख सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों और संगठनों के संगठन – नेशनल सेक्युरिटी नेटवर्क ने देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए गृह सचिव के समक्ष अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। गौरतलब है कि सड़क दुर्घटनाओं में हर साल लगभग 1,50,000 लोग मारे जाते हैं। देशभर में जारी लॉकडाउन के दौरान भी सडक दुर्घटनाओं का सिलसिला थम नहीं रहा है।

रोड सेफ्टी नेटवर्क के तहत कंज्युमर वॉयस ने 24 मार्च से लेकर अब तक हुई सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों और यातायात नियमों के उल्लंघन के मामलों को लेकर ʺरोड क्रैश ट्रैकर‘ तैयार किया है। अब तब 1,176 सड़क दुर्घटनाओं के आंकडे को इसमें शामिल किया गया है। इन दुर्घटनाओं के कारण 321 मौतें हुई हैं।

सड़क सुरक्षा नेटवर्क के उपभोक्ता संगठन कंज्युमर वॉयस के सीओओ आशिम सान्याल ने कहा, ʺहमने सड़क के रास्ते अपने घरों को जाने वाले प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 15 सिफारिशों की एक सूची प्रस्तुत की है। इन सिफारिशों का उद्देश्य विशिष्ट जोखिम वाले कारकों को कम करना है जैसे कि तेज गति से वाहन चलाना, थकावट, भीड़भाड़ इत्यादि। कुछ सिफारिशें विशेष रूप से घर लौट रहे प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा के लिए हैं ”,
गृह सचिव को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ʺगृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा प्रवासियों, छात्रों और फंसे हुए पर्यटकों को उनके गृहनगर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेनें एवं बसें चलाने के निर्णय का स्वागत करते हैं लेकिन हम सडक के रास्ते जाने वाले वाहन चालकों तथा यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं।‘‘

मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि हाल की दुर्घटनाओं के लिए वाहन चालकों की थकान के अलावा अधिक तेजी से वाहन चलाना भी जिम्मेदार है।

सडकों का उपयोग करने वालों’ खासकर प्रवासी मजदूरों को लेकर जा रही बसों के यात्रियों की सुरक्षा के मामले में भारत सरकार की मदद करने के लिए रोड सेफ्टी नेटवर्क ने सरकार के साथ सुरक्षा प्रोटोकॉल का एक सेट साझा किया है। इसमें जो उपाय सुझाए गए हैं उनमें राजमार्गों और सड़कों पर साइकिल चालकों और पैदल यात्रियों के लिए अस्थायी लेन बनाना, बस ड्राइवरों को आपातकालीन प्रोटोकॉल के बारे में पूरी तरह से जानकारी देना, उन क्षेत्रों की पहचान करना जहां यात्रियों को भोजन और पानी उपलब्ध कराया जा सकता है, लंबी दूरी तक वाहन चलाने के लिए खास तौर पर विशेष इलाकों में वाहन चलाने में प्रशक्षित ड्राइवरों को ही इस काम में लगाना शामिल है।

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