नई दिल्ली: देश में किसानों के साथ-साथ विपक्ष द्वारा किसान बिल का काफी विरोध किया जा रहा है। इस बीच मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने किसान बिल के विरोध में एनडीए से नाता तोड़ दिया है।

देर रात बैठक में हुआ फैसला
चंडीगढ़ स्थित शिअद मुख्यालय में शनिवार देर रात पार्टी की काेर कमेटी की बैठक में करीब तीन घंटे तक चली जद्दाजहद के बाद शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल ने एनडीए से 24 वर्ष पुराना गठबंधन तोड़ने का एलान किया।

शिअद के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में लिया हिस्सा
शिअद सूत्रों मुताबिक बैठक में पार्टी के वयोवर्द्ध नेता प्रकाश सिंह बादल की अनुपस्थिती में हुए इस ऐतिहासिक फैसले के पक्ष में शिअद के कई वरिष्ठ नेता थे जबकि कुछ नेता गठबंधन जारी रखने के पक्ष में थे। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों से अकाली-भाजपा में पिछले एक पखवाड़े में बढ़ी तरकरार आखिर दरार में बदल गई। प्रदेश में जैसे-जैसे किसानों का बिल के खिलाफ विरोध बढ़ा, वैसे ही अकाली दल अपनी रणनीति में बदलाव करता जा रहा है। 9 दिन पहले एनडीए गठबंधन सरकार में शिअद के कोटे से एक मात्र केबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था।

SAD का बड़ा वोट बैंक है किसान
पंजाब में मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव हैं और शिअद का बड़ा वोट बैंक किसान है जिसे वह किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहता। हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद किसानों में यह संदेश नहीं जा पाया कि शिअद उनके साथ खड़ा है। पंजाब की सत्तारुढ कांग्रेस और विपक्षी आम आदमी पार्टी भी मामले को यह कहते हुए तूल दे रहे था कि ‘हरसिमरत का मंत्रीपद से इस्तीफा केवल एक ड्रामा है,किसानों का दर्द है तो एनडीए से नाता क्यों नहीं तोड़ा गया’। आंदोलन किसानों के साथ खुलकर उतरी कांग्रेस और आप को िसयासी टक्कर के लिए शिअद ने एनडीए से किनारा करने का बड़ा फैसला लिया।