लखीमपुर हिंसा के बाद सरकार और किसानों में बनी सहमति, हाईकोर्ट के रिटायर जज करेंगे मामले की जांच

टीम इंस्टेंट खबर
लखीमपुर खीरी में हिंसा में मरने वाले चार किसानों के परिवारों को 45-45 लाख रुपये का मुआवजा और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, यह एलान आज यूपी सरकार ने किया है।

किसान संगठनों से हुए समझौते के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बताया कि किसानों की शिकायत पर मामले की एफआई दर्ज कर ली गई है। हाईकोर्ट के रिटायर जज मामले की जांच करेंगे।

एडीजी ने आगे कहा कि, कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए घटनास्थल पर धारा 144 लगाई है, जहां पर राजनीतिक दलों के नेताओं को जाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को लखीमपुर में जाने की इजाजत है।

वहीँ राकेश टिकैत ने कहा, ‘पहली बार हुआ है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के नाम एफआईआर में दर्ज हुई है, 10-11 दिन का जो समय प्रशासन ने मांगा है अगर उसके अंदर का कार्रवाई नहीं की गई तो हम महापंचायत करेंगे, हम किसानों के दाह संस्कार तक यही रहेंगे और पांच डॉक्टरों की निगरानी में पोस्टमॉर्टम होगा और उसका वीडियो रिकॉर्डिंग ही किया जाएगा’

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘अभी इंटरनेट नहीं चल रहा है इसलिए हमें बहुत सारी वीडियो सबूत नहीं मिले हो लेकिन जैसे ही इंटरनेट चलेगा, आपके पास कोई वीडियो है तो वह हमें जरूर भेजें.’

दरअसल, लखीमपुर खीरी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का दौरा था. केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे उन्हें रिसीव करने जा रहे थे, लेकिन इस दौरान किसानों ने रास्ता रोक लिया और काले झंडे दिखाए. आरोप है की मंत्री पुत्र ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी जिसमें कई किसानों की मौत हो गई, जिसके बाद किसानों ने भारी हंगामा किया. बाद में किसानों की पिटाई में तीन भाजपा कार्यकर्त्ता और एक एक पत्रकार की भी मौत हुई.

हालांकि, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का दावा है कि हादसे के वक्त उनका बेटा मौजूद नहीं था. फिलहाल स्थिति को काबू में करने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखीमपुर खीरी भेजा है.