लखनऊ
उत्तर प्रदेश के थानों में मुस्लिम समुदाय के युवकों के उत्पीड़न, ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से लोगों के घरों पर बुल्डोज़र चलाने और हाल की हिंसा में एक तरफा कार्यवाई के सवाल पर कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन अरुण मिश्रा से 15 जून बुधवार को मुलाक़ात की।

कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के निर्देश पर मिले प्रतिनिधिमण्डल में उत्तर प्रदेश के प्रभारी सचिव तौक़ीर आलम, धीरज गुज्जर, राजेश तिवारी, अल्पसंख्यक कांग्रेस उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम और ग़ाज़ियाबाद अल्पसंख्यक कांग्रेस के ज़िला अध्यक्ष यामीन मलिक शामिल रहे।

कांग्रेस नेताओं ने आयोग के चेयरमैन अरुण मिश्रा को विस्तार से बताया कि कैसे सहारनपुर कोतवाली में 11 जून को पुलिस ने युवकों जिसमें कई नाबालिग भी थे की न सिर्फ़ बुरी तरह पिटाई की गयी बल्कि उनका वीडियो भी बनाया और वायरल किया गया। जिसे भाजपा के एक विधायक शलभमणि त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से भी शेयर किया। जो सरकार के स्तर पर ऐसी हिंसा को बढ़ावा देने और पुलिस के दुरूपयोग का खुला मामला है। कांग्रेस नेताओं ने इलाहाबाद के जावेद मोहम्मद और उनकी बेटी आफरीन फातिमा के घर को बिना किसी क़ानूनी प्रक्रिया के ही बुलडोजर से गिरा देने का सवाल भी उठाया।

कानपुर हिंसा के नाम पर पुलिस के इक तरफा कार्यवाई का उदाहरण देते हुए कांग्रेस नेताओं ने बताया कि कानपुर पुलिस ने सुबूत होने के बावजूद उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ कोई कार्यवाई नहीं की जिनकी मौजूदगी में भाजपा से जुड़े लोगों ने पथराव किया। पुलिस द्वारा जारी पोस्टरों में भी सिर्फ़ मुस्लिम समुदाय के लोगों की तस्वीरें हैं जबकि हिंसा में दोनों पक्षों के लोगों के शामिल होने के सुबूत हैं।

प्रतिनिधिमंडल ने इस बात से भी अवगत कराया कि पुलिस दो साल पहले सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलनों में शामिल लोगों के विरुद्ध बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। जो लोगों के सरकार की नीतियों के विरोध करने के अधिकार का अपराधीकरण करने की कोशिश का हिस्सा है।

प्रतिनिधिमंडल ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के इन मामलों को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को उचित निर्देश देने की मांग की।