लखनऊ

माले ने मोदी सरकार से सवालों के जवाब को लेकर धरना दिया

लखनऊ: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के मंगलवार को देशव्यापी प्रतिरोध के आह्वान के तहत कार्यकर्ताओं ने लखनऊ समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में धरना दिया। प्रतिरोध धरना राहत पैकेज के नाम पर आम आदमी से किये गए धोखा, प्रवासी मजदूरों की हो रही मौतों व कोरन्टीन सेंटर के नाम पर चल रहे यातनागृहों को लेकर मोदी सरकार से जवाब मांगने के लिए घरों, गांवों, मोहल्लों व पार्टी कार्यालयों पर दिया गया। इस दौरान शारीरिक दूरी समेत लॉकडाउन प्रावधानों का पालन भी किया गया।

इस मौक़े पर वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने करोड़ों प्रवासी मजदूरों को एक तरह से उनके हाल पर ही छोड़ दिया है। लॉकडाउन में घर लौटने के जटिल नियमों और साधनों के अभाव में उन्हें सैकड़ों मील की यात्रा पर पैदल ही निकलने के लिए विवश होना पड़ा है। जगह-जगह पुलिस उनपर डंडे बरसा रही है। इस दौरान असुरक्षित यात्रा, दुर्घटना भूख-प्यास व थकावट से सैकड़ों मजदूरों की जानें चली गईं और मौतें अभी भी जारी हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? क्या ‘आत्मनिर्भर भारत’ मजदूरों की जानें लेकर बनेगा?

नेताओं ने कहा कि बीस लाख करोड़ के तथाकथित कोरोना राहत पैकेज में आम आदमी के हिस्से में कितनी आर्थिक सहायता आयी, यह समझना पहेली है। सरकार राहत नहीं कर्ज बांट रही है। संकट के समय जब मजदूर और गरीब जिंदगियां बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, यह पैकेज दरअसल राहत के नाम पर धोखा है। उन्होंने प्रवासियों को सुरक्षित व निःशुल्क घर तक पहुंचाने, उन्हें और सभी गरीबों को ₹ दस-दस हजार लॉकडाउन भत्ता देने, प्रति व्यक्ति 15 किलो अनाज प्रति माह की दर से तीन माह तक मुफ्त देने, मनरेगा की मजदूरी ₹ 500 करने और मृतकों के परिजनों को ₹ दस-दस लाख मुआवजा देने की मांग की।

माले नेताओं ने कहा कि कोरंटीन सेंटरों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है और स्थितियां यातनागृह जैसी हैं। कोरंटीन किये गए लोगों को नारकीय हालातों में रहना पड़ रहा है। यहां तक कि जेलों के लिए भी एक मैनुअल होता है, पर कोरंटीन सेंटरों के लिए ऐसा कुछ नहीं है। कोरोना से लड़ना है, तो कोरंटीन सेंटरों की यह हालत क्यों है?

राजधानी लखनऊ में गोमती नगर विस्तार, हरदासी खेड़ा, मुंशीखेड़ा, तकरोही, आशियाना व बीकेटी के मामपुर गांव में धरना दिया गया। लखनऊ के अलावा, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, अयोध्या (फैजाबाद), इलाहाबाद, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, गोरखपुर, देवरिया, कानपुर, जालौन, मुरादाबाद, मथुरा आदि जिलों में भी धरने हुए। राज्य सचिव सुधाकर यादव ने भदोही में धरना दिया।

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