नई दिल्लीः कोरोना वायरस के चलते लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूर कई शहरों में फंस गए, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रवासी मजदूरों को 15 दिनों के भीतर उन्हें उनके घर वापस भेजा जाए। कोर्ट ने इसके अलावा कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत लॉकडाउन तोड़ने के लिए दर्ज सभी केस भी वापस लिए जाएं।
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि अगर श्रमिक ट्रेनों की जरूरत हो तो रेलवे 24 घंटे के भीतर ट्रेनें प्रदान करवाए। इसके अलावा, रेलवे प्रवासी श्रमिकों को सभी योजनाएं मुहैया और उन्हें प्रचार-प्रसार करे। साथ ही साथ केंद्र और राज्य सरकार प्रवासी मजदूरों की सूची बनाएं और उनके कौशल के अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाएं।
इससे पहले पांच जून को सुप्रीम कोर्ट नेप्रवासी श्रमिकों की परेशानियों से संबंधित मामले में शुक्रवार को मानवाधिकार निकाय एनएचआरसी को हस्तक्षेप करने की अनुमति प्रदान कर दी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान ली गई याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासियों को भेजने के लिए 15 दिनों का समय देना चाहती है।
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