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खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स को ग्रासरूट एथलीटों के लिए 1 नम्बर का प्लेटफार्म मानते हैं टॉप्स डेवलपमेंट जुडोका यश

लखनऊ
टॉप्स डेवलपमेंट जुडोका यश घनघस खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी) को ग्रासरूट स्तर की युवा प्रतिभाओं के लिए 1 नम्बर का प्लेटफार्म मानते हैं। उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित हो रहे केआईयूजी में चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करने जा रहे ओलंपिक और एशियाई खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रौशन करना चाहते हैं।

साल 2020 में टाप्स डेवलपमेंट एथलीट बने यश हरियाणा के पानीपत जिले निवासी हैं। उनके पिता सीआरपीएफ में एएसआई हैं और फिलहाल मणिपुर में पोस्टेड हैं। मां हाउसवाइफ हैं। एक बड़ा भाई जो डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है और एक छोटा भाई है, जो 12वीं में पढ़ता है।

बीते पांच साल से भोपाल में प्रैक्टिस कर रहे 20 साल के यश ने कहा,- बच्चों को ऊपर ले जाने के लिए यह एक नम्बर का प्लेटफार्म है। खिलाड़ियों को यहां कम्पटीशन मिलता है। नेशनल गिने चुने होते हैं और इस लिहाज से खेलो इंडिया गेम्स खिलाड़ियों के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं। यहां जीतने वाला खिलाडी स्कालरशिप पाता है और साई के सेंटर्स में प्रैक्टिस करता है। ग्रासरूट स्तर के खिलाड़ियों के लिए यह खेल आयोजन संजीवनी बनकर उभरा है।-

जूडो में यश का आना महज इत्तेफाक था। भारी भरकम डील-डौल का होने के कारण वह शाटपुट पसंद करते थे लेकिन एक दिन ऐसा आया, जब उन्होंने इस खेल को छोड़ जूडो को अपना पहला प्यार बना लिया। यश ने कहा- हम खरखुदा के प्रताप स्पोर्ट्स स्कूल में थे। वहां मेरे गांव के कई बच्चे थे। मैं पहले शाटपुट करता था। मेरे गांव के बच्चों ने कहा कि यह गेम (जूडो) कर लो। मैं इस गेम को ट्राई किया और फिर इसमें मजा आने लगा। धीरे-धीरे मैं इसमें रमता गया और फिर मेरा सेलेक्शन खेलो इंडिया यूथ गेम्स के लिए हुआ। फिर मैंने नेशनल खेला और वहां से भोपाल आ गया। तब से यहीं हूं।-

यश दूसरी बार खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में हिस्सा लेने जा रहे हैं। बेंगलुरु में वह खेले थे और प्लस 100 किग्रा वेट कैटेगरी में कांस्य पदक जीता था। यश ने कहा, -मैंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी हिस्सा लिया है। नई दिल्ली में पहली बार आयोजित खेलो इंडिया स्कूल गेम्स में मैंने -90 वेट कैटेगरी में कांस्य पदक जीता था। फिर वह गुवाहाटी यूथ गेम्स में प्लस 100 किग्रा कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीता।-

यश 6 इंटरनेशनल इवेंट्स में हिस्सा ले चुके हैं। लेबनान में 2021 में आयोजित जूनियर एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता था। यश का सपना देश के लिए एशियाई खेलों और ओलंपिक में पदक जीतना है। यश ने कहा,-मेरा सपना देश को सम्मान दिलाना है। मैं ओलंपिक और एशियाई खेलों में पदक जीतना चाहता हूं। इस साल एशियाई खेलों में हिस्सा लेना चाहता हूं। फिलहाल एशियाई खेलों के कैंप में हूं। भोपाल में दो कैंप लगे हैं। फर्स्ट औऱ सेकेंड। इनमें शामिल खिलाड़ियों के बीच ट्रायल्स होगी और अगर चुना गया तो फिर देश के लिए पदक जीतना चाहूंगा।-

यश ने यह भी बताया कि वह 2024 ओलंपिक में देश के लिए खेलना चाहते हैं लेकिन इसकी संभावना कम है क्योंकि उनके खाते में बहुत कम क्वालीफाइंग प्वाइंट्स हैं। जहां तक 2028 ओलंपिक की बात है तो वह इसे लेकर आश्वस्त हैं।

बकौल यश,- साल 2024 के लिए प्वाइंट्स बनाने के लिए कम्पटीशन चाहिए और फिलहाल कम कम्पटीशन है। इसीलिए मैंने अपने लिए 2028 ओलंपिक का टारगेट रखा है। मैं इसके लिए खुद को तैयार कर रहा हूं और अभी मेरा प्लान अधिक से अधिक इंटरनेशनल इवेंट्स में हिस्सा लेकर अपनी रैंकिंग बेहतर करना है।–

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