नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने कहा है भारत में जुलाई माह की शुरुआत में कोविड-19 के मामले चरम पर पहुंचने की आशंका है और इस वैश्विक महामारी के कारण भारत में 18,000 लोग जान गंवा सकते हैं। सेंटर फॉर कंट्रोल ऑफ क्रॉनिक कंडिशन्स (सीसीसीसी) के निदेशक प्रो डी. प्रभाकरण ने कहा कि देश में यह महामारी बढ़ने की दिशा में है। प्रभाकरण ब्रिटेन में लंदन स्कूल ऑफ हाइजिन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में महामारी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर भी हैं।

महामारी विशेषज्ञ ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के सर्वाधिक मामले जुलाई में सामने आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह विभिन्न शोधों के आधार पर और अन्य देशों में इस महामारी के बढ़ने और घटने का आकलन पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां चार से छह लाख मामले संक्रमण के हो सकते हैं और औसत मृत्यु दर तीन फीसदी रह सकती है, जो (भारत में कोविड-19 के कारण मौत) करीब 12,000-18,000 होगी। प्रभाकरण ने कहा कि सीमित डेटा को देखने पर ऐसा लगता है कि यहां मृत्युदर कम है लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है, यह तो महामारी के खत्म होने पर ही पता चल पाएगा।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हैल्थ, हैदराबाद में निदेशक प्रो. जी.वी.एस. मूर्ति ने कहा कि दक्षिण एशिया क्षेत्र में मृत्युदर सबसे कम श्रीलंका में है जो प्रति दस लाख पर 0.4 है। भारत, सिंगापुर, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मलेशिया में प्रति दस लाख की आबादी पर मृत्युदर एक सी कम है। हां, यह कहना मुश्किल है कि इन देशों में मृत्युदर कम क्यों है।

उनके मुताबिक ऐसा हो सकता है कि इन देशों ने महामारी की शुरुआत में सामुदायिक लॉकडाउन शुरू कर दिया था जो मृत्युदर कम होने की वजह हो सकती है। जबकि यूरोप और अमेरिका ने ऐसे कदम देर से उठाए। प्रो. मूर्ति ने बताया कि दुनियाभर और भारत के रूझानों को देखें तो पता चलता है कि 60 वर्ष और अधिक आयु के लोगों में मृत्युदर सबसे ज्यादा है। भारत में कोविड-19 के कारण जिन लोगों की मौत हुई उनमें से 50 फीसदी की उम्र 60 वर्ष या अधिक थी।

जाने-माने विषाणु वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कोरोना से निपटने के कुछ सुझाव दिए जिनमें (1) सामुदायिक स्तर पर रोकथाम के कदम उठाने एवं पृथक-वास जैसी रणनीतियां अपनाए जाने की आवश्यकता है। (2) कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों (हॉटस्पॉट) का पता लगाने के लिए व्यापक स्तर पर जांच की जानी चाहिए और ऐसे क्षेत्रों को पृथक किया जाना चाहिए। (3) हमें एंटीबॉडी जांच और पुष्टि के लिए पीसीआर जांचें, दोनों करनी चाहिए। इनसे पता चलेगा कि कितने लोग संक्रमित हैं और कितने लोग संक्रमण से उबर चुके हैं। (4) उन्होंने कहा कि रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन पर लगातार नजर रखने के लिए व्यापक जांच करनी चाहिए। (5) सामुदायिक स्तर पर स्थानीय लॉकडाउन और लोगों को पृथक-वास में रखने से लाभ होगा।