नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेलों पर जोर देते हुए 18वीं मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत की। पीएम ने पहले टी20 विश्वकप में भारत के जीत के सिलसिले को याद किया और चर्चा को आगे बढ़ाते हुए फुटबॉल के बारे में भी अहम बातें कही। पीएम ने कहा कि ये वक्त देश में खेलों में एक नई क्रांति के दौर का है। भारत में क्रिकेट की तरह अब फुटबॉल, हॉकी, टेनिस और कबड्डी का एक मूड बनता जा रहा है।

पीएम ने चर्चा के दौरान फुटबॉल पर खासा जोर दिया। पीएम ने इस दौरान भारत की फुटबॉल टीम की रैंकिंग के बारे में भी निराशा जाहिर की। पीएम ने कहा कि भारत की फीफा फुटबॉल रैंकिंग इतनी खराब है कि इस बारे में बात नहीं करना चाहूंगा लेकिन मैं चाहता हूं कि 1 अरब की आबादी वाले इस देश में फुटबॉल को लेकर एक नई ऊर्जा तैयार हो। पीएम ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि इन दिनों भारत में युवाओं की फुटबॉल में रुचि बढ़ रही है।’

पीएम ने कहा कि अगले वर्ष 2017 में भारत FIFA U17 विश्व कप की मेजबानी करने जा रहा है। पीएम ने कहा कि इस पूरा वर्ष एक फुटबॉल का माहौल बना दें। हम सब की कोशिश होनी चाहिये कि हम फुटबॉल को गांव-गांव, गली-गली कैसे पहुंचाएं। पीएम ने FIFA U-17 विश्व कप के आयोजन के बारे में NarendraModiApp पर सुझाव मांगे। उन्होंने इच्छा भी जताई कि देश का हर नौजवान FIFA 2017 U-17 विश्व कप का ऐम्बैसडर बने।

ये भी महत्वपूर्ण है कि भारत में पिछले कई सालों से क्रिकेट के खेल का जबरदस्त बोलबाला रहा है। क्रिकेट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले क्रिकेट मैच देशभक्ति के प्रतीक हो गए हैं और हाल ही में भारत पाक मैच पर हुई राजनीति इसकी केवल बानगी भर है। क्रिकेट खिलाड़ी ग्लैमरस लाइफस्टाइल जीते है और वह हर मैच से इतना पैसा उठा लेते है जितना एक आम नागरिक की साल भर की तनख्वाह होती है। इससे अन्य खेलों में रूचि रखने वाले खिलाड़ियों की हताशा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

हालांकि भारत में फुटबॉल को जिंदा रखने की कवायद 2013 में शुरू हो गई थी। आईपीएल की तर्ज पर ही इंडियन सुपर लीग की शुरूआत हो चुकी है और बॉलीवुड के कई बड़े सितारों ने आईएसएल में टीमें खरीदकर भारत में फुटबॉल को ग्लैमर प्रदान करने की कोशिश की है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि क्रिकेट अब भी दर्शकों के बीच हॉट फेवरेट खेल बना हुआ है। और इसकी वजह से भारत में अन्य खेल दुर्गति का शिकार हुए है।

ऐसे अनेक उदाहरण है जहां क्रिकेट से इतर खेल में कई खिलाड़ियों को सालों साल संघर्ष करना पड़ा और रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें दो जून की रोटी जुटाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। कई खिलाड़ी तो गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे है। शायद यही कारण है कि क्रिकेट और बाकी खेलों की इस खाई को पाटने के लिए ही पीएम मोदी अन्य खेलों पर जोर देने की कोशिश कर रहे है।