समाज को बदलने की जिम्मेदारी युवा पीढ़ी पर है: राज्यपाल
लखनऊ विश्वविद्यालय का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के 58वें दीक्षान्त समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर्ण पदक पाने वाले छात्र-छात्रायें यश एवं सफलता को बनाकर रखें तथा आगे भी परिश्रम करते रहें। समाज ने जो आपको दिया है उसे ऋण समझकर आप भी देश को देना सीखें। देश में गरीबी है इसलिए देश को सम्पन्न बनाने के लिए कुछ न कुछ करें तभी दीक्षान्त समारोह के सार्थकता सिद्ध होगी। चरित्र निर्माण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि समाज को बदलने की जिम्मेदारी युवा पीढ़ी पर है। उन्होंने उज्जवल और युवा भारत को सही दिशा-निर्देश देने का संकल्प लेने की बात कही।
श्री नाईक ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय जल्द ही अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने वाला है। वर्तमान पर विचार जरूर करें पर भविष्य के बारे में भी सोचते रहें। हमारा इतिहास हमें शक्ति देता है। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि लड़कियाँ स्वर्ण पदक प्राप्त करने में आगे हैं। 106 पदकों में से 78 पदक छात्राओं को मिले है और 28 पदक छात्रों को मिले हैं। खुले ढंग से पढ़ाई का मौका मिलता है तो महिलायें भी कम नहीं हैं यह सिद्ध हो गया है। उन्होंने कहा कि लड़कियाँ इस सफलता को बनाये रखें।
मुख्य अतिथि केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं भू विज्ञान मंत्री डाॅ0 हर्षवर्धन ने उत्तर प्रदेश से अपने जुड़ाव को दोहराते हुए कहा कि अच्छी शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी जरूरी हैं। डिग्री से ज्यादा बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य के साथ समाज और राष्ट्र का भी ध्यान रखें।
डाॅ0 हर्षवर्धन ने कहा कि ईमानदारी ही प्रगति का रास्ता है। जो कुछ अभी तक शिक्षा के रूप में प्राप्त किया है उसे जीवन में आत्मसात् करें। समाज और राष्ट्र के लिए कुछ न कुछ जरूर समर्पित करें। शिक्षा और ज्ञान का उपयोग देश के सशक्तिकरण के लिए हो। उन्होंने कहा कि ईमानदारी और सद्कर्म ही सफलता के मूल मंत्र हैं।
इस अवसर पर कुलपति प्रो0 एस0बी0 निम्से ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतिगण व गणमान्य नागरिक सहित छात्र-छात्रायें भी उपस्थित थें। दीक्षान्त समारोह में छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक और उपाधियाँ वितरित की गयी।








