नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार सिस्टम से दागी अफसरों को हटाने की अपनी मुहिम जारी रखी है। सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले आयकर विभाग के 15 और अधिकारियों जबरन सेवानिवृत्त कर दिया है। सेवानिवृत्त किए गए अफसरों में प्रिंसिपल कमिश्नर, कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर शामिल हैं। बता दें कि सरकार कुछ दिन पहले आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अफसरों को सेवा से हटा चुकी है। इन अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप थे।

सरकार ने गत 11 जून को आयकर विभाग के जिन 12 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया था उनमें ज्वाइंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी थे। ज्वाइंट कमिश्नर रैंक के एक अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं फिरौती के गंभीर आरोप थे। इस सूची में शामिल एक कमिश्नर पर यौन उत्पीड़न का आरोप था। आईआरएस का एक अन्य अधिकारी जिसे जबरन रिटायर किया गया, उस अधिकारी के पास 3.17 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति पाई गई। बताया गया कि इस अधिकारी ने कथित रूप से अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी चल और अचल संपत्तियां बनाईं।

केंद्र की सत्ता में दोबारा पहले से ज्यादा बहुमत के साथ आने के बाद मोदी सरकार प्रशासनिक शुचिता पर ज्यादा ध्यान और भ्रष्टाचार पर सख्त रुख अपना रही है। पीएम मोदी का जोर स्वच्छ, पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त सरकार बनाने की है। इसलिए यह सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाले संस्थान ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक साल 2018 के ग्लोबल करप्शन इंडेक्स में भारत की छवि सुधरी। इस सूची में भारत की की स्थिति में तीन अंकों का सुधार हुआ और वह 78वें पायदान पर पहुंच गया।