नई दिल्ली: मीटू कैंपेन के तहत केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं. एमजे अकबर पर आरोप लगने के बाद बीजेपी तमाम राजनीतिक दलों के निशाने पर है. हर कोई बीजेपी पर हमलावर है. एमजे अकबर पर लगे आरोपों को लेकर शिवसेना नेता मनीषा कयांदे ने कहा कि इन आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए. अगर, बीजेपी पारदर्शिता पर यकीन करती है तो आरोपों की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एमजे अकबर को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और फिर जांच में सहयोग देना चाहिए. जांच पूरी हो जाने के बाद पार्टी को उनको लेकर स्टैंड लेना चाहिए.

एमजे अकबर पर कई महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. पीड़ित महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी बातों को सामने रखा. पत्रकार प्रिया रमानी ने उन पर सबसे पहले आरोप लगाते हुए अपनी स्‍टोरी को साझा किया है. इससे पहले उन्‍होंने पिछले अक्‍टूबर में वोग इंडिया में लिखे अपने ऑर्टिकल में डियर मेल बॉस को संबोधित करते हुए एक आर्टिकल लिखा था.

उस वक्‍त दुनिया भर में शुरू हुए मीटू अभियान की पृष्‍ठभूमि में उन्‍होंने अपनी स्‍टोरी को लिखा था. हालांकि उस वक्‍त उन्‍होंने आरोपी का नाम सार्वजनिक नहीं किया था. लेकिन आठ अक्‍टूबर को उन्‍होंने अपनी स्‍टोरी के लिंक को शेयर करते हुए लिखा कि दरअसल उनकी पुरानी स्‍टोरी एमजे अकबर से संबंधित थी. उन्‍होंने इसके साथ ही लिखा कि उनका नाम इसलिए नहीं लिया था क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ 'कुछ' नहीं किया. लेकिन कई अन्‍य महिलाओं की इससे भी बदतर स्‍टोरीज उनसे जुड़ी हो सकती हैं.

प्रिया रमानी ने ऑर्टिकल में अपने एक जॉब इंटरव्‍यू के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उस वक्‍त मैं 23 साल की थी और वह 43 साल के थे. संपादक ने मुझे दक्षिणी मुंबई के उस होटल में मिलने के लिए बुलाया जहां वे हमेशा रुका करते थे. उन्‍होंने कहा कि दरअसल वो इंटरव्‍यू कम डेट ज्‍यादा था. संपादक ने ड्रिंक ऑफर की और पुराने हिंदी गाने सुनाने को कहा. यहां तक कि उन्‍होंने अपने बेड के पास आकर बैठने को कहा जिसे मना कर दिया.