मुसलमानों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए: मायावती
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा चीफ मायावती ने मुस्लिमों के लिए आरक्षण की मांग की है। ये बात उन्होंने एससी/एसटी विधेयक में संशोधन का स्वागत करते हुए कही। इसके अलावा मायावती ने ऊंची जाति के गरीबों के लिए आरक्षण देने का समर्थन किया है। बीएसपी चीफ ने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार संविधान में संशोधन कर ऊंची जाति के गरीबों को आरक्षण देने का कोई कदम उठाती है तो बसपा इसका पहले स्वागत करेगी। चूंकि मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों में काफी गरीबी है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार ऊंची जाति के गरीबों के लिए कोई कदम उठाती है तो मुसलमानों और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।’ लोकसभा में अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2018 पास होने के बाद मायावती ने संशोधन बिल राज्यसभा में पास होने की उम्मीद जताई है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि इस बीच दलितों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि ये दलितों के भारत बंद का असर है। बता दें कि लोकसभा में लगभग छह घंटे तक चली चर्चा के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को नकारते हुए ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी। अब इस बिल को राज्यसभा में मंजूरी दिया जाना बाकी है। एसएसी/एसटी बिल पर बसपा प्रमुख ने कहा, ‘पार्टी इस बिल का स्वागत करती है। हम इस बिल के राज्यसभा में पास होने की भी उम्मीद करते है। इसके लिए हम 2 अप्रैल को बुलाए भारत बंद का असर मानते हैं, जिसमें बसपा कार्यकर्ताओं के साथ देश की जनता ने भाग लिया और केंद्र सरकार को मजबूर कर दिया।’
वहीं विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा, ‘‘हमने अनेक अवसरों पर स्पष्ट किया है, फिर स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम आरक्षण के पक्षधर थे, पक्षधर हैं और आगे भी रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि चाहे हम राज्यों में सरकार में रहे हो, या केंद में अवसर मिला हो, हमने यह सुनिश्वित किया है। गहलोत ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर सरकार ने पुर्निवचार याचिका दायर की थी। इस पर उच्चतम न्यायालय से सरकार के पक्ष में फैसला आने के बाद कार्मिक मंत्रालय ने इस संबंध में कार्रवाई भी शुरू कर दी है। इस संबंध में राज्यों को परामर्श जारी किया गया है। गहलोत ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में आरक्षण का विषय सामने आया तब अटल सरकार ने पांच कार्यालयीन आदेश निकालकर आरक्षण के पक्ष में अपनी प्रतिबद्धता साबित की थी।