लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आज पेश 100 दिनों के रिपोर्ट कार्ड को युवाओं ने खारिज करते हुए कहा कि इसमें ठोस कुछ भी नहीं है। इस मौके पर युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने जारी प्रेस वक्तव्य में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश के विकास, रोजगार सृजन व समृद्धि की जो तस्वीर पेश की गई है उससे जमीनी हकीकत एकदम अलग है। रिपोर्ट कार्ड और प्रस्तुत भावी कार्यक्रम से युवाओं को निराशा हुई है क्योंकि 2017 व 2022 विधानसभा चुनावों के मैनीफेस्टो में भाजपा ने प्रदेश के सभी रिक्त पदों को भरने के वादे पर मुख्यमंत्री चुप रहे। जबकि 6 लाख से ज्यादा पद रिक्त हैं। हद तो यह है कि जिन भर्तियों को विधानसभा चुनाव के पूर्व सरकार की उपलब्धि बता पेश किया जा चुका है उन्हें भी उपलब्धि बताया जा रहा है।

इसी तरह ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-3 में 80 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश समझौतों को बड़ी उपलब्धि के बतौर मुख्यमंत्री पेश कर रहे हैं लेकिन इसी तरह के पूर्व के दो इंवेस्टर्स समिट में इससे कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर हुए निवेश समझौतों के सापेक्ष वास्तविक निवेश बेहद कम क्यों हुआ, इसका जवाब उनके पास नहीं है। जबकि ईज आफ ड्यूंग बिजनेस के नाम पर निवेश आकर्षित करने के लिए जरूरी बता कारपोरेट्स को सस्ती जमीन, सस्ता श्रम से लेकर तमाम रियायतें दी गई। 5 साल में एम एस एम ई सेक्टर में 2-2.5 करोड़ रोजगार सृजन के दावे भी सच्चाई से कोसों दूर हैं। दरअसल वास्तिवकता यह है कि बेकारी के मामले में उत्तर प्रदेश में भी राष्ट्रीय परिद्रश्य जैसी ही भयावह स्थिति है।

मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि अपराध व भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टालरेंस की नीति पर सरकार चल रही है, लेकिन दरोगा भर्ती में हुए अभूतपूर्व धांधली में मुख्य सरगनाओं के गिरफ्त से बाहर होने जैसे मुद्दे पर चुप हैं। भर्तियों में रिकॉर्ड भ्रष्टाचार उजागर होने पर भी मुख्यमंत्री चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार-भाईभतीजावाद खत्म करने का दावा करते रहते हैं।