लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने ऑक्सीजन के अभाव में लखनऊ समेत प्रदेश में कोरोना मरीजों की हो रही मौतों को देखते हुए मुख्यमंत्री द्वारा ऑक्सीजन प्लांट लगाने का आदेश जारी करने पर कहा है कि आग लगने पर योगी कुआं खोदने चले हैं।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि प्लांट लगते-लगते ऑक्सीजन के अभाव में कई जानें बिछ चुकी होंगी। सरकार साल भर ‘जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं’ और ‘दो गज दूरी मास्क जरूरी’ का नारा लगवाती रही, मगर खुद के स्तर पर पूर्व तैयारियां करने के मामले में घोर लापरवाही का परिचय दे चुकी है। सरकार के पास गुजरे एक साल का समय कोविड-19 से लड़ने की तैयारियों के लिए था। वैज्ञानिकों की ओर से यह भी आगाह किया गया था कि कोरोना की दूसरी लहर की संभावना है। लेकिन सरकार ने गुजरे समय को मानव जिंदगियां बचाने की जरुरी तैयारियां – जांच, इलाज, एम्बुलेंस, अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू, इंजेक्शन व टीके की पर्याप्त व्यवस्था करने के बजाय अपेक्षाकृत गैर-जरूरी कामों में गवां दिया।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि इसका नतीजा यह हुआ कि अब श्मशान में भी जगह नहीं मिल रही है। कोविड-19 के प्रसार के लिए जनता को जिम्मेदार ठहराने और भारी-भरकम जुर्माना लगाने में सरकार की ओर से कोई कोताही नहीं है। लेकिन सवाल उठता है कि सरकार ने जो अपने स्तर पर तैयारियों को लेकर मुजरिमाना लापरवाही दिखाई है, उसकी जवाबदेही कौन लेगा? इलाज के नाम पर हर ओर लूट मची है। रेमडेसीविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की भारी कालाबाजारी हो रही है। आम आदमी के बीच के कोविड मरीजों का पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है। क्या ऐसी सरकार को, जिसने प्रदेशवासियों को ऐसी विपदा में उनके हाल पर छोड़ दिया हो- जहां बेड, दवाई और ऑक्सीजन के अभाव में लोग दम तोड़ रहे हों और लाशों के अंबार लग रहा हों – सत्ता में बने रहने का जरा भी हक है?

माले नेता ने कहा कि योगी सरकार अपनी अदूरदर्शिता की वजह से कोरोना के व्यापक प्रसार के आगे चारों खाने चित है। कोरोना और मौतें रोकने में फेल हो चुकी सरकार अपनी चहूंओर विफलताओं को छुपाने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है और सही जानकारी जनता तक पहुंचने से रोक रही है। यही कारण है कि श्मशानों में सैकड़े में दफनाई गई लाशों को सरकारी कागजों में दहाई में दिखाया जा रहा है और जलती चिताओं की संख्या छुपाने के लिए अन्त्येष्टि स्थलों की बाड़बंदी तक की जा रही है।

राज्य सचिव ने कहा कि भाजपा के लिए इंसानी जिंदगियां बचाने की जगह वोट, कुर्सी और धार्मिक अनुष्ठानों पर ध्यान लगाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। बंगाल चुनाव से लेकर यूपी पंचायत चुनाव और हरिद्वार महाकुंभ तक यही दिख रहा है। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा यूपी ही नहीं, भाजपा के शीर्ष स्तर पर भी है। जब बड़ी संख्या में लोग मर रहे हैं, तो रोकथाम की जरुरी व्यवस्था करने की जगह तेजी से फैलती कोरोना लहर में भी रैलियां व रोड शो करने में माननीय प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक मशगूल हैं। लोकतंत्र को फूटी आंखों न पसंद करने वाली पार्टी लोकतंत्र का चैंपियन होने का ढोंग कर रही है।