लखनऊ:
भाकपा (माले) ने कौशांबी में तिहरे दलित हत्याकांड पर आक्रोश व्यक्त करते हुए घटना के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी ने कहा है कि यदि पीड़ित दलित परिवार को न्याय मिला होता और सरकार के अधिकारी भूमि विवाद को लटकाए न रखते, तो हृदयविदारक हत्याकांड न होता।

माले राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को यहां जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री योगी के शासन में दलित समुदाय सर्वाधिक उपेक्षित है। दलितों पर हर ओर से हमले हो रहे हैं। उनकी हत्याएं हो रही हैं। उनकी जान की कोई कीमत नहीं है। कौशांबी हत्याकांड से पहले सुल्तानपुर जिले में बकाया मजदूरी मांगने पर 18 वर्षीय दलित युवक की हाल ही में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। बलात्कार की सर्वाधिक घटनाएं दलित महिलाओं के साथ हो रही हैं। योगी सरकार में दलित उत्पीड़न की कोई इंतहा नहीं है।

माले नेता ने कहा कि भाजपा शासन में दबंगों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे दलित परिवार का सफाया कर रहे हैं। कौशांबी में संदीपन घाट थाना क्षेत्र के गांव में शुक्रवार को रात में सोते समय एक ही परिवार के तीन सदस्यों – होरीलाल (62), उनकी गर्भवती बेटी बृजकली (22) और दामाद शिवसागर (26) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के पीछे पट्टे की जमीन का विवाद सामने आया है।

माले राज्य सचिव ने कहा कि दलित परिवार को यदि पट्टे की जमीन दी गई, तो प्रशासन को उसपर कब्जा भी दिलाना चाहिए था, क्योंकि उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे दबंगों के अवैध कब्जे से खुद के बल पर अपनी जमीनों को मुक्त करा सकें। यदि सरकार कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा करने वाली होती, तो ऐसा जरुर करती। मगर योगी सरकार में स्थिति इसके उलट है। यहां दबंग राज है और पुलिस प्रशासन दबंगों का ही संरक्षण करता है।

माले नेता ने सभी हत्यारोपियों की अविलंब गिरफ्तारी, हत्याकांड की निष्पक्ष जांच, दोषियों को कठोर सजा, जमीन विवाद को लटकाए रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, मृतकों के परिजनों को सुरक्षा, पीड़ित परिवार को जमीन पर कब्जा व मुआवजा देने की मांग की है।

इस बीच, भाकपा (माले) ने कौशाम्बी सामूहिक दलित हत्याकांड के खिलाफ शनिवार को रायबरेली में जिलाधिकारी कार्यालय पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन कर हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की और राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन सौंपा।