लखनऊ:
भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार के सौ दिन पूरे होने पर स्वयं अपनी पीठ थप थपा रही है सरकार वहीं पूरी जनता कराह रही है। उत्तर प्रदेष की भाजपा सरकार ‘‘सौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली सरकार’’ है। पिछले कार्यकाल एवं मौजूदा कार्यकाल दो बार इनवेस्टर समिट हुई प्रधानमंत्री भी आये जनता की गाढ़ी कमाई का काफी धन व्यय हुआ। कितने लोगों ने किस सेक्टर में इनवेस्ट किया सरकार से जनता का सवाल है कि बड़ी-बड़ी घोषणयें हुई थीं क्या हुआ? जो सरकार जुबानी जमा खर्च पर चल रही है। झूठी उपलब्धियों के पर्चे बांटे जा रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता श्री कृष्णकांत पाण्डेय ने उक्त बातें कहते हुए आगे कहा कि जिस सरकार की नियत बने हुए मकानों को जमींदोज करने की हो वह विकास की बात कैसे कर सकती है। बिजली का बिल हाफ करने का भाजपा का वादा था वह तो नहीं हो सका लेकिन बिजली का समय जरूर हाफ हो गया। जहां 24 घंटे का वादा था वहीं आज 12 घंटे भी नहीं मिल पा रही है। वादा था कि सौ दिन के अन्दर दस हजार को रोजगार दिया जायेगा केवल 940 भर्तियां हुई। नीति आयोग की पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट कहती है कि उ0प्र0 देश के सबसे निर्धन राज्यों में शामिल है।

प्रवक्ता श्री कृष्णकांत पाण्डेय ने कहा कि पहली बार प्रदेश में किसानों के अनाज की सरकारी खरीद लक्ष्य के मात्र 5 प्रतिशत हुई है। घूसखोरी के चलते किसान आत्महत्या को मजबूर हैं। किसान पुनः आन्दोलन के लिए मजबूर हो रहें हैं उनका मानना है कि आंदोलन समाप्ति के समय जो वादे किये गये थे वह पूरे नहीं हो पाये। न तो किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस हुए और न ही एम.एस.पी. को लेकर कमेटी गठित हुई। किसान जमीन कब्जा मुक्त न होने को लेकर भी आत्महत्या को मजबूर हैं। इस सरकार में लेखपाल का बयान आता है कि ऊपर भी देना होता है हिस्सा वरना कम ले लेता।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता श्री कृष्णकांत पाण्डेय ने कहा स्वास्थ्य विभाग का आलम यह है कि स्वास्थ्य मंत्री 5 अप्रैल 2022 को के.जी.एम.यू का निरीक्षण करते हैं वहीं 9 अपै्रल 2022 को महिला मरीज एम्बुलेंस में ही तड़प कर मर जाती है। पुनः 1 मई 2022 को मरीज एम्बुलेंस में ही दम तोड़ देता है। पुनः 3 मई 2022 को मंत्री द्वारा निरीक्षण किया जाता है, वहीं 7 मई को महिला मरीज से छेड़-छाड़ की खबर सामने आती है। बिना यूपीएस के सर्वर ठप्प हो जाता है। 25 मई को ट्रामा में तीमारदार को ही गुलोकोज स्टैण्ड बनना पड़ता है। तीन जून को ट्रामा सेन्टर में इलाज के आभाव में मरीज की मौत हो जाती है। चर्चा तो यह भी रही कि मंत्री स्वयं ढाई घंटा लाइन में खड़े होते हैं पर्चा नहीं बनवा पाते हैं। जिसकी पांच साल से सरकार चल रही हो और प्रदेश मुख्यालय में स्वास्थ्य विभाग का यह हाल हो तो पूरे प्रदेश की क्या दशा होगी। के.जी.एम.यू प्रषासन क्या सरकार से बड़ा है? अब तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई? पूरे प्रदेश की जनता बदहाली के दौर से गुजर रही है। सरकार जाति, धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रही है।