निहारिका साहित्य मंच ने आयोजित किया मां प्रकृति सम्मान समारोह, पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ का लिया गया संकल्प

लखनऊ।
निहारिका साहित्य मंच एवं कंट्री ऑफ इंडिया समाचार पत्र के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर “मां प्रकृति सम्मान समारोह” का आयोजन सौभाग्य मेंशन गोमती नगर में किया गया।कार्यक्रम के आयोजनकर्ता पीएमडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कंट्री ऑफ इंडिया के प्रधान संपादक अब्दुल अजीज सिद्दीकी तथा निहारिका साहित्य मंच की संस्थापिका डॉक्टर रीमा सिन्हा ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मां और प्रकृति को समतुल्य मानते हुए उनके सम्मान में हम इस आयोजन को किया है।

इस अवसर पर पत्रकारिता समाज सेवा और साहित्य के क्षेत्र में सराहनीय योगदान देने वाले 42 लोगों को संस्था द्वारा सम्मानित किया गया।उन्होंने बताया कि यह संस्था अभी मात्र 9 माह पुरानी है इससे पहले विश्व महिला दिवस 8 मार्च के अवसर पर शीरोज हैंगआउट गोमती नगर में ही एसिड अटैक विक्टिम महिलाओं को हमने सम्मानित किया था।हमारी संस्था का मुख्य फोकस साहित्य रहता है।आज हम सब से यही अपील करते हैं कि हमें अपने पर्यावरण को बचाने में, पेड़-पौधे को लगाने में बढ़-चढ़कर के भाग लेना चाहिए।

कार्यक्रम में एनजीओ की लक्ष्मी सरोजा, चित्रा दास का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही पदमश्री विद्या बिन्दु सिंह ने कहा कि पर्यावरण के प्रति हमको सदैव जागरूक और सचेत रहना चाहिए. प्रकृति को मां कहा गया है, हम उनके प्रति कृतज्ञ हैं. प्रकृति से ही जनम लेकर हम प्रकृति में वापस लौट जाते हैं. प्रकृति एक चिकित्सक भी है. लोक संस्कृति परंपराओं को भूलकर, प्रदूषण बढ़ाकर हम प्रकृति के साथ अत्याचार कर रहे हैं।

हमें प्रकृति द्वारा समय-समय पर दिए गए चेतावनी संदेशों को ध्यान में रखना चाहिए और अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना आयुक्त नरेंद्र श्रीवास्तव ने सम्मान पाने वाले सभी महानुभवों को बधाई दी और कहा कि हम सभी को सही और गलत का ज्ञान होता है, हम सब जानते हैं कि पेड़ नहीं काटने चाहिए पर जिस अनुपात में आज तेजी से पेड़ काट रहे हैं, उस अनुपात में वृक्षारोपण नहीं हो रहा है, विकास के नाम पर पेड़ों का लगातार कटना चिंताजनक है l

अमृतसर गुरुद्वारा कमेटी ने अपने श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में पौधे वितरित किए जो कि एक सराहनीय पहल है। हमें पुरानी परंपराओं पर लौटना ही होगा और अगर नहीं लौटे तो हमारी आगे की पीढ़ियां हमारे गुनाहों का दंड पायेगी। ऑक्सीजन की कमी और कीमत और महत्ता का एहसास तो हमें कोरोना महामारी के दौरान हो ही चुका है. आज समाज के हर कार्यक्रम में महिलाओं की सहभागिता बहुत अधिक बढ़ी है. महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है यही महिला मां के रूप में अगली पीढ़ी को जागरूक करके सकारात्मक संदेश देगी। प्रकृति ने अपनी ओर से हवा और पानी जो कि जीवन के लिए बहुत उपयोगी और आवश्यक है वह सब हमको निशुल्क दिया है, हमें प्रकृति के प्रति क्रितग्य होना चाहिए और उसकी रक्षा के लिए सदैव सजग, जागरूक होना चाहिए।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि अब्दुल वहीद ने कहा कि आने वाली नस्लों की बेहतरी के लिए हम पर्यावरण की रक्षा के अभी से सजग हो जाएं और आपने जीवन के खास मौके पर पेड़ लगाकर नई पीढ़ी को अमूल्य उपहार प्रदान करें।

कार्यक्रम में शामिल महिलाओं ने लोक गीतों और अपनी रचनाओं के माध्यम से पर्यावरण के प्रति जागरुक किया।