डॉक्टर्स ने कहा कि इससे बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली विकल्प महत्वपूर्ण

लखनऊ:
विश्व हृदय दिवस,”एक वार्षिक आयोजन है जो कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए होता है| इस साल यह ऐसे समय पर आया है जब लखनऊ और उत्तर प्रदेश के डॉक्टरों के बीच युवा जनसंख्या में कार्डियोवैस्कुलर रोग (CVD) के मामले चिंता के प्रमुख कारण हैं।

पिछले हफ्ते, लखनऊ में संदिग्ध रूप से हृदयाघात से एक 14-वर्षीय युवक की मृत्यु हो गई; उससे हफ्ते भर पहले, गाजियाबाद में कॉलेज के एक अन्य छात्र की उस वक्त मृत्यु हो गई जब वह जिम में व्यायाम कर रहा था। इस महीने लखीमपुर खीरी में मॉल घुमते समय एक 35-वर्षीय युवक को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वह चल बसा। ये चौंकाने वाली खबरें तब भी आ रही हैं, जब राज्य सर्दियों के महीनों के दौरान कानपुर जिले में हृदय संबंधी बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती होने और वहाँ होने वाली मौतों से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया है।

यदि हम अपरिष्कृत मृत्यु आँकड़ों से अनुमान लगाते हैं, तो केवल उत्तर प्रदेश में, सीवीडी के कारण एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या पर लगभग 1.82 मौतें होती हैं।

ये उदाहरण भारत में युवा आबादी के बीच सीवीडी में चिंताजनक वृद्धि को उजागर करते हैं, और यह प्रवृत्ति दुर्भाग्य से देश के बाकी हिस्सों में भी देखी जा सकती है।

युवाओं को प्रभावित करने वाले रिस्क फैक्टर्स

लोगों में हृदय रोगों के प्राथमिक रिस्क फैक्टर्स में जीवनशैली संबंधी विकार जैसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन, डायबिटीज और मोटापा शामिल हैं। धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, निष्क्रिय जीवन शैली और अत्यधिक जंक फूड जैसी अस्वास्थ्यकर आदतें हृदय रोग का कारण बनती हैं। इसके अतिरिक्त, व्यस्त जीवनशैली, जन्मजात विकार, या हृदय संबंधी समस्याओं की फैमिली हिस्ट्री हृदय संबंधी समस्याओं के विकास के खतरे को बढ़ा सकता है।

ध्यान देने लायक लक्षण

चरक हॉस्पिटल, लखनऊ के कंसल्टेंट डिपार्टमेंट ऑफ कार्डियोलॉजी, डॉ. मनीष झा ने कहा, “सीने में दर्द, जिसे अक्सर एसिडिटी या अपच कहकर खारिज कर दिया जाता है, हृदय रोग के सबसे आम चेतावनी संकेतों में से एक है। इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सीने में जकड़न, भारीपन महसूस होना, धड़कन बढ़ना, ऊपरी अंगों में दर्द, अधिक पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ, डकार आना, हल्का सिरदर्द, सीने में जलन और तेजी से दिल की धड़कन जैसे लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। शीघ्र निदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि शीघ्र पता लगने से सफल उपचार हो सकता है।”

कोरोनरी आर्टरी डिजीज

दिल की बीमारियों में से एक ऐसी बीमारी जो युवाओं में तेजी से देखी जा रही है वह है कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD)। जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड डायग्नॉस्टिक रिसर्च में, प्रकाशित 2016 के एक अध्ययन के अनुसार, सीएडी दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में भारतीयों में कम उम्र में होता है, 50 प्रतिशत से अधिक सीएडी मृत्यु 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में होती है।

CAD के खतरे को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव, नियमित व्यायाम और नियमित हृदय स्वास्थ्य जांच आवश्यक है। सीएडी के लिए उपयुक्त उपचार विकल्प कोरोनरी एंजियोप्लास्टी के माध्यम से स्टेंट लगाना है | यह एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है जो बंद हृदय धमनियों को खोलती है। आज बायोरिसोर्बेबल स्टेंट की उपलब्धता से इलाज के नतीजे भी बेहतर हो गए हैं।

शीघ्र निदान, समय से हस्तक्षेप से बच सकती है जान

डॉक्टर गौतम स्वरूप, सीनियर-कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशियाल्टी हॉस्पिटल, ल्खनऊ बताते हैं, “जीवनशैली और आहार संबंधी आदतों में सचेत परिवर्तन न केवल सीवीडी बल्कि हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी अन्य असंक्रामक बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। लोगों को इस सलाह को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।”

उन्होंने युवाओं के लिए हाई बीपी, लिपिड प्रोफाइल, शुगर परीक्षण आदि के लिए प्रारंभिक नियमित जांच की सलाह दि। जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास है या जिनकी उम्र 30 वर्ष से अधिक है, वे इन परीक्षणों में ईसीजी, स्ट्रेस इको जोड़ सकते हैं।