लखनऊ:
भारत में लगभग 62.35 मिलियन लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं। यह एक ऐसी सामान्य बीमारी है, जिससे जोड़ों में जकड़न और दर्द होता है। उत्तर प्रदेश, 85 लाख मामलों के साथ, राज्यों में से रोग बोझ का सबसे बड़ा हिस्सा वहन करता है।

विश्व गठिया दिवस पर लखनऊ के शाल्बी अस्पताल के डॉ. विपुल गुप्ता वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन ने कहा, “ऑस्टियोआर्थराइटिस एक ऐसा रोग है जिसमे प्रभावित जोड़ का कार्टिलेज घिसने लगता है, जिसके चलते हल्की परेशानी से लेकर गंभीर समस्या भी पैदा हो सकती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के चरण के आधार पर शीघ्र पहचान और उपचार आवश्यक है। बीमारी को नजरअंदाज न करें। ट्रीटमेंट ज़रूरी है।”

राज्य की ग्रामीण आबादी के बीच ऑस्टियोआर्थराइटिस तेजी से बढ़ रहा है। वाराणसी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 2015 में कराये गये एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 56% लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की समस्याओं से प्रभावित थे। 2015 में फर्रुखाबाद में किए गए एक अन्य अध्ययन में घुटने के दर्द की शिकायत करने वाले रोगियों में घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस की 78.27% व्यापकता देखी गई।

भारतीयों की औसत जीवन अवधि अब बढ़ गयी है जिसकी वजह से इस रोग का बोझ और अधिक बढ़ने वाला है; ऑस्टियोआर्थराइटिस उन वर्षों की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। पहले ऑस्टियोवार्त्राइटिस जैसी बीमारियाँ केवल बुज़ुर्गो मे पाई जाती थी । हालाँकि एक अध्ययन में पाया गया कि 55 वर्ष से अधिक आयु के 80% से अधिक लोग इससे ग्रस्त हैं । एक अन्य अनुमान है कि मोटे तौर पर इसके चलते, मरीज़ो को पीड़ा के साथ 30 से भी अधिक वर्षो तक जीवन निर्वहन करना पड़ सकता है ।

शुरुआती लक्षण

डॉक्टर ने कहा, “शुरुआती लक्षणों में आमतौर पर जोड़ों में सूजन, अकड़न या दर्द शामिल होता है और यह बीमारी ज्यादातर सुबह परेशन करती है।” इन समस्याओं के बाद, जिस जोड़ पर प्रभाव पड़ता है, उसकी गतिमान चालन क्षमता कम हो सकती है और जब उस शरीर के भाग को हिलाने का प्रयास किया जाता है, तो उसमें हड्डी चटकने की आवाज़ आ सकती है।

रोकथाम

ऑस्टियोआर्थराइटिस और मोटापे के बीच स्पष्ट संबंध है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के चलते अक्सर घुटने और कूल्हे प्रभावित होते है, जो कि शरीर का भार उठाने वाले प्रमुख अंग है। डॉक्टर जोड़ों की क्रियाशीलता बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम करने की भी सलाह देते हैं। डॉ. विपुल गुप्ता ने कहा, “स्वस्थ वजन बनाए रखना, पोषण युक्त आहार, शुगर को नियंत्रित करना, व्यायाम करना और जोड़ों को चोट से बचाए रखना महत्वपूर्ण है।”

उपचार

उपचार के विकल्पों में फिज़िओथेरेपी, दर्द निवारक दवाएं और कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन शामिल हैं। गंभीर मामलों में, घुटने या कूल्हे के प्रतिस्थापन सर्जरी पर विचार किया जा सकता है।