नई दिल्ली: केंद्र द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अभी भी किसान और सरकार आमने सामने हैं। जहां किसान इस बात को लेकर अडिग हैं कि सरकार समूचा कानून ही वापस ले तो वहीं सरकार का कहना है कि कानून वापस नहीं ले सकते लेकिन संशोधन जरूर करेंगे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी फिर वार्ता जारी रहने की बात को दोहराया है। इस बीच कृषि कानून का मसला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। भारतीय किसान यूनियन ने कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

कॉरपोरेट लालच के आगे हो जाएंगे बर्बाद
भाकियू के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने याचिका दायर कर तीनों कृषि बिलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है । याचिका में दावा किया है कि नए कृषि कानून इस क्षेत्र को निजीकरण की ओर धकेल देंगे और वे कॉरपोरेट लालच के आगे बर्बाद हो जाएंगे। नए किसानों को बिना पर्याप्त चर्चा के पास किया गया है। याचिका में किसान यूनियन ने कहा कि कानून बन जाने के बाद सरकार चर्चा कर रही है, लेकिन उनमें भी कोई हल नहीं निकला है।

केंद्र को पहले ही जारी हो चुकी है नोटिस
शीर्ष अदालत पहले ही सितंबर में संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुकी है। इन्हें पहली बार जून में केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के रूप में पेश किया गया था।