नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस महामारी का असर लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इससे लड़ने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत टेस्टिंग और किट की है। इस बीच इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को जो रैपिड टेस्टिंग किट बेची गई, वह काफी महंगे दाम की थीं जिसपर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस ने मंहगें दामों पर एंटीबॉडी परीक्षण किट को खरीदने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक सवाल उठाया था कि जब एंटीबॉडी टेस्ट किट को 245 रुपये में आयात किया गया है तो क्यों आईसीएमआर इसे 600 रुपये प्रति पीस में खरीद रहा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मसले पर अब सरकार से सवाल किया है। सोमवार को राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि जब समूचा देश कोरोना वायरस आपदा से लड़ रहा है, तब भी कुछ लोग मुनाफा कमाने से नहीं चूकते। इस भ्रष्ट मानसिकता पर शर्म आती है, घिन आती है।

राहुल गांधी ने लिखा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुए कि इन मुनाफाखोरों पर जल्द से जल्द कड़ा एक्शन लिया जाना चाहिए। देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

राहुल गांधी से पहले दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कोविड-19 परीक्षण किट को न्यूनतम लागत पर उपलब्ध कराने के लिए कहने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने 600 रुपये में खरीदी जा रही एंटीबॉडी परीक्षण किट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। पटेल ने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमार) इस किट को क्यों प्रति पीस 600 रुपये में खरीद रहा है, जबकि इसका आयात 245 रुपये में किया गया है।

अहमद पटेल ने सोमवार को ट्वीट कर सरकार से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि आईसीएमआर को 245 रुपये में आयात की गई एंटीबॉडी टेस्ट किट को 600 रुपये प्रति पीस में क्यों खरीदना पड़ा। आशा है कि सरकार इसे स्पष्ट करेगी। उन्होंने कहा कि महामारी के बीच इस हालत में कोई भी गरीबों के साथ इस तरह का खिलवाड़ न करे, फिलहाल मुनाफाखोरी सही नहीं है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि फिलहाल की स्थिति को देखते हुए कोविड-19 टेस्ट किट 400 रुपये से ऊपर के रेट पर नहीं बेची जानी चाहिए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए टेस्ट करने बेहद जरूरी है, ऐसे में टेस्ट किट का कम से कम रेट पर बेचा जाना भी उतना ही जरूरी है।

हाईकोर्ट ने आदेश उन तीन निजी कंपनियों को दिया है, जिनके पास 10 लाख किट चीन से भारत लाने का कॉन्ट्रैक्ट है। दरअसल रेयर मेटाबॉलिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्क फार्मास्यूटिकल्स की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका लगाई गई थी। इन दोनों कंपनियों ने भारत में कोविड 19 टेस्ट किट को भारत में लाने के लिए मैट्रिक्सलेब के साथ समझौता किया था। मैट्रिक्स लैब 7 लाख 24 हजार कोविड-19 टेस्ट किट देने के बाद बाकी की 2 लाख 76 हजार किट तब तक जारी करने से इनकार कर रहा था, जब तक कि उसको पूरा पैसा नहीं मिल जाए।