नई दिल्ली: युवाओं को टीकाकरण एलान के बाद केंद्र सरकार लगातार घिरती जा रही है, टीके अनुपलब्धता पर अदालतों की लगातार विपरीत टिप्पणियां आ रहीं हैं और सरकार की टीकाकरण पालिसी पर सवाल उठाये जा रहे हैं, इसी कड़ी में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज बड़े सख्त लहजे में केंद्र से पूछा कि जब आपके पास वैक्सीन ही नहीं है तो फिर घोषणा क्यों की.

वैक्सीन पालिसी समझ से परे
माले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सांघी ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर में युवा पीढ़ी ज्‍यादा प्रभावित हो रही है और उसे वैक्‍सीन उपलब्‍ध नहीं हो पा रही. उन्‍होंने कहा, ‘मैं वैक्‍सीनेशन पॉलिसी को समझ नहीं पा रहा.’ दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आपने 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्‍सीनेशन पॉलिसी का ऐलान किया है लेकिन आपके पास वैक्‍सीन नहीं है. जब आपके पास वैक्‍सीन ही नहीं हैं तो आपने यह घोषणा क्‍यों की? हमें भविष्‍य पर निवेश करने की जरूरत है लेकिन हम उसकी ही अनदेखी कर रहे हैं.’

बुज़ुर्ग जी चुके ज़िन्दगी, युवाओं को मिले प्राथमिकता
हाईकोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के कारण युवा पीढ़ी के कई लोगों की जान जा चुकी है. उसे टीकाकरण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्‍योंकि वे देश के भविष्‍य हैं लेकिन बुजुर्ग लोगों को तरजीह दी जा रही है जो अपनी ज्‍यादातर जिंदगी जी चुके हैं. हालांकि हाईकोर्ट ने इसके साथ ही स्‍पष्‍ट किया कि वह इस बात को नहीं कर रहा है कि बुजु्र्ग लोगों की जिंदगी महत्‍वपूर्ण नहीं है, बुजुर्ग परिवार को जो भावनात्‍मक समर्थन देते हुए उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

80 वर्ष का व्यक्ति देश को आगे नहीं ले जा सकता
उन्‍होंने कहा कि हमें अपने भविष्‍य को सुरक्षित करना है, इसके लिए हमें युवा पीढ़ी का टीकाकरण करने की जरूरत है लेकिन यहां हम 60+ के लोगों को तरजीह दे रहे जो अपनी जिंदगी जी चुके. यह युवा पीढ़ी है जो भविष्‍य है. जज ने यह भी कहा कि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्‍या में युवाओं को जान गंवानी पड़ी है. जस्टिस सांघी ने कहा कि संकट के इस समय में यदि चयन किया जाए तो हमें युवाओं को चुनना चाहिए क्‍योंकि 80 वर्ष का कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी जी चुका है और देश को आगे नहीं ले जा सकता.