वर्नाकुलर स्किल-गेमिंग प्लेटफॉर्म, विंज़ो ने गेमिंग की दुनिया में लंबे समय से पेश आ रही समस्या को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। गेमिंग के कौशल और तुक्के से गेम जीतने के बीच अंतर करने का यह एक पारदर्शी, निष्पक्ष तरीका है। तकनीकी संस्थानों और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली, आईआईटी और आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों के सांख्यिकी विभाग के साथ-साथ स्टैंनफोर्ड यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के सम्मानित प्रोफेसर्स को साथ शामिल करते हुए विंज़ो ने एक वैज्ञानिक तरीका तैयार किया है। इस तरीके से यह अंतर करना आसान हो सकता है कि गेमिंग के लिए कौशल होना जरूरी है और खेल किस्मत पर निर्भर नहीं होता। इस अनूठे तरीके में कुशलता बनाम तुक्के जैसी अहम समस्या को सुलझाने की क्षमता है, इससे गेमिंग जगत में पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ेगी। प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ साझीदारी, विंजों द्वारा गेमिंग का ऐसा वातावरण तैयार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो केवल मनोरंजन ही ना करे, बल्कि कुशलता तथा तुक्केबाजी के बीच अंतर करने में पारदर्शी हो। साथ ही उसमें सुरक्षा तथा जवाबदेही की भी विशेषता हो।

हाल ही में भारत में गेमिंग क्षेत्र में पारदर्शी तथा निष्पक्ष मूल्याकंन सुनिश्चित करने के लिए प्रस्वावित स्व नियामक निकायों (एसआरबी) की स्वतंत्रता को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। नए जमाने के प्रौद्योगिकी फर्म की गोपनीय जानकारियों तक एसआरबी की पहुंच भी शुरूआती चरण के नवचारों के लिए एक संभावित खतरा है। इस वजह से ही विंज़ो को एक बेहद वैज्ञानिक मॉडल तैयार करने के लिए दुनियाभर के जाने-माने शिक्षाविदों के साथ काम करने की प्रेरणा मिली। वे एक ऐसा मॉडल

तैयार करना चाहते थे जोकि निष्पक्ष हो और किसी भी गेम का मूल्यांकन करने के लिए स्वामित्व डेटा एक्सेस करने या फिर बौद्धिक संपदा नियमों का उल्लंघन करने की जरूरत ना पड़े।

इन साझा प्रयासों का परिणाम है कि कई सारे गेम्स में किस्मत से ज्यादा कुशलता का महत्व साबित करने के लिए सांख्यिकीय परीक्षणों को तैयार करने में वास्तविक गेम डेटा, करोड़ों खेले गए गेम्स में 10 करोड़ से भी अधिक यूजर्स के यूजर बिहेवियर और उससे संबंधित अन्य कारकों का इस्तेमाल किया गया। यह बेहतरीन तरीका कुशलता और तुक्केबाजी के बीच अंतर को स्पष्ट करने लिए तैयार किया गया है। इस तरीके में ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में अनुपालन की बाध्यता को कम करने की भी क्षमता है। साथ ही यह नवाचारों और बदलते बिजनेस मॉडल के जमाने में नियामक से जुड़ी परेशानियों को भी दूर कर सकता है।

विंज़ो के को-फाउंडर, पवन नंदा ने कहा, “100 से भी ज्यादा गेम डेवलपर्स के गेम्स को पेश करने वाले एक गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में हमारे लिए गेम को कुशलता का खेल साबित करने के लिए एक अनुमान योग्य, पारदर्शी और जवाबदेही वाला वैज्ञानिक तरीका बहुत महत्वपूर्ण था। हमने विश्व स्तर पर शीर्ष सांख्यिकीविदों और इंजीनियरिंग विभागों के साथ मिलकर एक ऐसी पद्धति का निर्माण और सत्यापन किया, जिसका उपयोग अब इन संस्थानों के साथ साझेदारी में कोई भी उद्यमी कर सकता है। कौशल के आधार पर गेमों का उचित तरीके से मूल्यांकन करते हुए हम स्टार्टअप को सहयोग देना चाहते हैं और आर्थिक चुनौतियों को दूर करना चाहते हैं। अपने शुरूआती चरणों में हमने भी कुछ ऐसी ही चुनौतियों का सामना किया है। वैज्ञानिक परिणाम, साझेदारी और निष्पक्षता की मदद से गेमिंग का ऐसा माहौल तैयार करने के इस सफर में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।’’

डॉ. माइक ऑर्किन, कैलिफोर्निया स्‍टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमेरिटस हैं और उन्‍हें 40 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्‍होंने कहा, ‘‘विंज़ो ने इंडस्‍ट्री के लिए एक ऐसा अध्‍ययन तैयार किया है जोकि गेमिंग के कौशल और तुक्‍के से गेम जीतने के बीच अंतर करने से जुड़े सवालों को हल करता है। यह व्‍यापक शोध किसी निजी इकाई द्वारा की गई एक अग्रणी पहल है। इसमें डेटा और एनालिटिक्‍स के इस्‍तेमाल से इंडस्‍ट्री के नियमों एवं सेक्‍टर की उभरती चुनौतियों का समाधान किया जा रहा है। यह रिसर्च लाखों यूजर्स द्वारा खेले गये करोड़ों गेम्‍स पर आधारित है। इतना ही नहीं, इस तरीके का इस्‍तेमाल नई कंपनियाँ भी कर सकती हैं। यह एक सहयोगी प्रक्रिया है, जिसमें कार्यक्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया जाता है। इस प्रक्रिया से विंज़ो ने एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया है, जो पारदर्शिता एवं निष्‍पक्षता को महत्‍व देता है। विज्ञान की ताकत से लैस इस ऐप्‍लीकेशन को कई

सांख्यिकीय परीक्षणों से सत्‍यापित किया गया है। इसके माध्‍यम से विंज़ो गेमिंग में कुशलता एवं तुक्‍केबाज़ी में फर्क को प्राथमिकता देकर, गेमिंग के क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण प्रगति करते हुए उद्योग के लिये नए मानदंड तैयार कर रही है।’’

विंज़ो ने अपने इस नए साइबर सिक्योरिटी प्रोग्राम, कोड हेल्थ एंड सिक्योरिटी इवेल्यूशन (सीएचएएसई) को लॉन्च करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी-दिल्ली (आईआईटी-डी), द दिल्ली टेक्‍नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू), नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्‍नोलॉजी (एनएसयूटी) और आईआईटटीडी के साथ भी साझेदारी की है। इस प्रोग्राम का लक्ष्य तकनीक के खुले स्रोत और सबसे बेहतरीन तरीकों को विकसित करना है, जिसका उपयोग उद्योग, सरकारी एजेंसियां और अन्य संस्थान, साइबर गतिविधियों से सुरक्षा पाने के लिए कर पाएं जोकि जानकारी और पैसे चुराने के लिए प्रोडक्ट की कमियों का दुरुपयोग करते हैं और बाधा डालने की क्षमताएं विकसित कर रहे हैं या आवश्यक सेवाओं को नष्ट करने के लिए खतरा बन रहे हैं। ऑनलाइन सुरक्षा के ये उपाय इंटरनेट की दुनिया में बढ़ते दखल और टी2-टी5 भारत में डिजिटल लेन-देन की बढ़ोतरी की वजह से किए जा रहे हैं।