नई दिल्ली: कोरोना के मद्देनजर यूपी में पंचायत चुनाव की मतगणना रोकने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा कि क्या मतगणना कराना जरूरी है. क्या उसको स्थगित नहीं किया जा सकता. अगर तीन हफ्ते टाल दिया गया तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा. इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि मेडिकल एक्सपर्ट से बात करने के बाद काउंटिंग को कराने का फैसला लिया गया है.
सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम
सुनवाई के दौरान यूपी चुनाव आयोग की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि प्रशासन ने 829 मतगणना केंद्रों पर पूरा इंतजाम किया है. कोविड प्रोटोकॉल को लेकर दिशा-निर्देश दिए हैं. उच्चाधिकारियों को कहा गया है कि पूरी तरह इंतजाम हों और सामाजिक दूरी व सेनेटाइजेशन सुनिश्चित किया जाए. सभी सीटों पर एक साथ मतगणना नहीं होगी. भाटी ने कहा कि यूपी में मंगलवार सुबह सात बजे तक कर्फ्यू लगाया गया है. किसी भी तरह भीड़भाड़ नहीं होने देंगे.
पूरे प्रोटोकॉल के पालन का आश्वासन
चुनाव आयोग ने कहा कि ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल किया जाएगा. सभी का तापमान देखा जाएगा. सभी को मास्क अनिवार्य है. किसी भी तरह की रैली की इजाजत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि शिक्षक एसोसिएशन ने याचिका दाखिल की है कि वो काम करना नहीं चाहते. 700 शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इस हालात से कैसे निपटेंगे.
यूपी सरकार का तर्क
उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष न्यायालय में कहा कि जब पंचायत चुनाव शुरू हुए थे उस दौरान कोरोना कि दूसरी लहर नहीं आई थी, यह भयंकर आपदा है जिसका हम सब सामना कर रहे हैं. जिन राज्यों में चुनाव नहीं हो रहे हैंं वहां पर भी कोरोना के मामले और मौतें बढ़ी हैं, दिल्ली में भी मौतों की संख्या बढ़ी है.
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