मुंबई: लद्दाख में चीन के साथ तनातनी के बीच महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ हाल में हुए तीन बड़े करार पर रोक लगा दी है। ये करार करीब 5000 करोड़ के परियोजनाओं से जुड़े थे और हाल में ‘मैगनेटिक महाराष्ट्र 2.0 इंवेस्टर’ समिट के दौरान हुए थे। इससे पहले हाल में हरियाणा की सरकार भी पावर प्रोजेक्ट्स से चीन कंपनियों के टेंडर को कैंसल कर नए टेंडर जारी करने के निर्देश दे चुकी है।

गलवान घटना से पहले हुए थे यह क़रार
टाइम्स ऑफ इंडियाकी रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के औद्योगिक मंत्री सुभाष देसाई ने बताया, ‘केंद्र सरकार से सलाह के बाद ये फैसले लिए गए हैं। ये करार भारत-चीन सीमा पर 20 भारतीय जवानों के शहीद होने से पहले किए गए थे। विदेश मंत्रालय ने सलाह दी है कि चीनी कंपनियों के साथ अभी आगे और करार नहीं किए जाएं।’

तालेगांव में लगना था ऑटोमोबाइल प्लांट
रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले सोमवार को डील के दौरान ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में चीनी राजदूत सुन वीडोंग शामिल थे। इनमें से एक करार 3,770 करोड़ रुपये का था। ये चीन के ग्रेट वॉल मोटर्स (GWM) के साथ था। इसमें पुणे के करीब तालेगांव में एक ऑटोमोबाइल प्लांट लगाने की बात थी। वहीं, दूसरा करार पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी और फोटोन (चीन) का ज्वायंट वेंचर था। ये 1000 करोड़ रुपये का था। सरकार की विज्ञप्ति के अनुसार इससे 1500 नौकरियां उपलब्ध होतीं। इसके अलावा तीसरा करार चीनी कंपनी हेंगली इंजीनियरिंग के साथ था। ये 250 करोड़ का करार था।