टीम इंस्टेंटखबर
रामभक्‍त हनुमान के जन्‍मस्‍थान को लेकर दो हिंदू ट्रस्‍ट आमने-सामने आ गए हैं और यह दोनों अलग राज्य से हैं. इनमें से एक आंध्र प्रदेश का है और दूसरा कर्नाटक का. यह दोनों ही ट्रस्‍ट हनुमान का जन्‍मस्‍थान अलग-अलग स्‍थानों पर होने का दावा कर रहे हैं.

आंध्र प्रदेश में तिरुमाला तिरुपति देवस्‍थानम ने तिरुमाला हिल्‍स स्थित अंजनाद्रि मंदिर और धर्मस्‍थल में सुविधाएं विकसित करने के लिए समारोह आयोजित करने की योजना बनाई है, जहां पिछले साल अप्रैल में राम नवमी पर हनुमान के जन्‍मस्‍थान के रूप में औपचारिक अभिषेक हुआ था.

तूसरी तरफ कर्नाटक का श्री हनुमद जन्‍मभूमि तीर्थ ट्रस्‍ट इससे सहमत नहीं है. ट्रस्‍ट के संस्‍थापक गोविंदानंद सरस्‍वती मामले में तिरुमाला पहुंच सकते हैं. ट्रस्‍ट का दावा है कि वाल्‍मीकि रामायण में इस बात का उल्‍लेख है कि हनुमान का जन्म किष्किंधा के अंजनहल्‍ली में हुआ था, माना जाता है कि यह हंपी के निकट तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है. इस विवाद को सुलझाने के लिए पिछले साल मई में बहस भी हुई थी लेकिन किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका था.

TTD कमेटी (राष्‍ट्रीय संस्‍कृति यूनिवर्सिटी के VC वी मुरलीधर शर्मा इसकी अगुवाई कर रहे थे, जिनका पिछले माह निधन हो गया) ने पुराणों और तांबे की प्‍लेट वाले शिलालेखों में स्‍पष्‍ट तौर पर अंजनाद्रि जिसे अब तिरुमाला कहा जाता है, का हनुमान के जन्‍म‍स्‍थान के रूप में जिक्र है. अप्रैल में TTD ने अंजनाद्रि के इस दावे को रेखांकित करते हुए एक बुकलेट प्रकाशित की गई थी, यह बुकलेट दिसंबर 2020 में गठित आठ सदस्‍यीय पैनल द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर आधारित थी. तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट ने छह पेज के एक पत्र से टीटीडी को जवाब दिया और इस मामले में बहस हुई. TTD विद्वानों द्वारा स्‍वीकार पौराणिक, साहित्‍यिक, पुरातात्विक और भौगोलिक साक्ष्‍यों के आधार पर अपना दावा करता है. टीटीडी का यह भी दावा है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट के पास कोई सबूत नहीं हैं. TTD के सीईओ जवाहर रेड्डी ने NDTV से बातचीत में कहा, ‘मध्‍य प्रदेश के चित्रकूट के एक दृष्टिबाधित स्‍वामीजी ने कुछ पुख्‍ता सबूत उपलब्‍ध कराए थे जो बुधवार के समारोह में शामिल किए जाएंगे.’ बुधवार के समारोह में शामिल होने वाले लोगों में शारदा पीठाधिपति स्‍वरूपेंद्र सरस्‍वती, चित्रकूट में तुलसी पीठ के रामभद्राचार्य महाराज, राम जन्‍मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्‍ट के स्‍वामी गोविंद देव गिरि आदि प्रमुख हैं.