लखनऊ

बारह घंटे काम गुलामी का नया अध्याय: वर्कर्स फ्रंट

श्रमिक संघों की बैठक में हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला
लखनऊ: मोदी सरकार द्वारा लाए लेबर कोड में काम के घंटे बारह करना लम्बे संघर्ष से हासिल अधिकारों को रौदंना है और देश के मजदूरों के लिए गुलामी का नया अध्याय है, जिसके खिलाफ पूरे देश में हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा। यह निर्णय वर्कर्स फ्रंट द्वारा श्रम कानूनों को खत्म करके लाए चार लेबर कोड पर बुलाई वर्चुअल बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। बैठक में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, झारखण्ड़, बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ में कार्यरत यूनियनों के नेता उपस्थित रहे। यह जानकारी प्रेस को जारी को अपनी विज्ञप्ति में वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने दी।

बैठक में लिए प्रस्ताव में कहा गया कि देशी विदेशी कारपोरेट घरानों के लिए मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे आर्थिक सुधार देश के किसानों और मेहनतकश तबकों को बर्बाद कर देंगे। तीन कृषि कानून जहां हमारी खेती किसानी को तबाह कर देंगे और बिहार, झारखण्ड़, उत्तर प्रदेश जैसे खेती किसानी पर निर्भर राज्यों के छोटे मझोले किसानों की आजीविका को छीनकर बड़े पैमाने पर पलायन को बढाने का काम करेंगे। वहीं लेबर कोड के जरिए सरकार ने श्रमिकों के सामाजिक और जीवन सुरक्षा को खत्म कर दिया है। कानून में काम के घंटे बारह करके श्रमिकों के मध्ययुगीन शोषण की छूट दी गई है। वहीं कोरोना महामारी से तबाह प्रवासी मजदूरों के यात्रा भत्ता तक के अधिकार को छीन लिया गया है। ठेका मजदूरों के नियमित करने और उसके बकाया वेतन में पूर्व में तय प्रधान नियोक्ता की जिम्मेदारी तक को समाप्त कर दिया गया है। महिला मजदूरों को मिल रहा संरक्षण भी खत्म कर दिया गया है। कोड में लाए प्लेटफार्म, गिग मजदूर जैसे ई बिजनेस के श्रमिक को औद्योगिक सम्बंध के कोड से बाहर कर उसे न्यूनतम सुरक्षा भी नहीं दी गई है। फिक्स टर्म रोजगार हायर और फायर को और भी बढाने का काम करेगा। बैठक में एक राय बनी कि इसके खिलाफ मजदूरों और आम जनता में व्यापक संवाद कायम कर जनांदोलन का आगाज किया जाये।
बैठक में पूर्व आई. जी. एस. आर. दारापुरी, आल इंडिया पीजेन्ट वर्कर्स यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन सिंह, मध्य प्रदेश से सारिका श्रीवास्तव, झारखण्ड़ मजदूर किसान यूनियन के हेमंत दास, केवल नेगी, निर्माण सेवा संस्थान के जयबीर सिंह, पुणे से रिंकु प्रसाद, यूके श्रीवास्तव, शगुफ्ता यासमीन, इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, राजेश सचान, कृपाशंकर पनिका, नौशाद मिंया, यादवेन्द्र प्रताप सिंह, अजीत मिश्रा, मसीदुल्ला अंसारी ने अपने विचार रखे।

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