नई दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस संदर्भ में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यह पेशकश की. इसके पीछे की वजह संवैधानिक संकट पैदा होना बताया गया है. राज्य सियासी हलचल के बीच रावत ने जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी.

तीरथ सिंह रावत ने पत्र में कहा है कि आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद छ महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहा पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं. उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं.

उत्तराखंड विधायक दल की बैठक के लिए कल पर्यवेक्षकों के तौर पर केंद्र मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर देहरादून जाएंगे. वहीं पर बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी. जॉलीग्रांट एयरपोर्ट पर लैंड करने के बाद तीरथ सिंह रावत सीधा राजभवन पहुंच गए हैं.

उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिल्ली तलब किया गया था, जिसके बाद वे राष्ट्रीय राजधानी आए. उनके अलावा, दो बीजेपी के वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज और धन सिंह रावत को भी दिल्ली बुलाया गया.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने दिल्ली दौरे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि उत्तराखंड में अहम बदलाव हो सकता है.

गौरतलब है कि तीरथ सिंह रावत को मार्च महीने में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था. उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह ली थी. त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ बीजेपी में ही विरोध के स्वर उठ रहे थे, जिसके बाद नई दिल्ली में हुईं बैठकों में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला लिया गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तकरीबन चार साल तक बतौर मुख्यमंत्री राज्य की सत्ता संभाली थी, लेकिन वहीं, तीरथ सिंह रावत को अभी सिर्फ चार महीने ही मुख्यमंत्री बने हुआ है.

तीरथ सिंह रावत वर्तमान समय में पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद हैं, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए किसी सीट से विधानसभा चुनाव जीतना जरूरी था. रावत को मुख्यमंत्री बने 10 सितंबर को छह महीने पूरे हो जाएंगे. कोविड-19 की परिस्थितियों की वजह से उत्तराखंड में उप-चुनाव भी अभी तक नहीं हुए हैं.