मोमिन अंसार सभा ने जातीय जनगणना को बताया साजिश, कहा सिर्फ वोट बैंक बनाना चाहती हैं पार्टियां

तौक़ीर सिद्दीक़ी
उत्तर प्रदेश में चुनाव का मौसम अंगड़ाइयां लेने लगा है, राजनीतिक पार्टियां जातीय समीकरण साधने में जुट गयी हैं, कोई दलितों के पीछे दौड़ रहा है तो कोई पिछड़ों को ऊपर उठाने की बात कर रहा तो कोई बुनकरों की भलाई की बातें कर रहा है, लेकिन यह सभी पार्टियां इन समुदायों को राजनीतिक रूप से मज़बूत करने की कोई बात नहीं कर रही हैं । विधानसभाओं और संसद में भेजने से घबराती हैं क्योंकि यह पार्टियां इन्हें सिर्फ वोट बैंक बनाये रखना चाहती हैं। यह विचार यूपी प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में मोमिन अंसार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद अकरम अंसारी ने व्यक्त किये।

अकरम अंसारी ने कहा कि राजनीतिक भागीदारी के लिए उनका संगठन इस बार विधानसभा चुनाव में उतरने जा रहा है जिसमें वह इस बार बीस उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारेगा, बता दें कि कांग्रेस पार्टी से उनका राजनीतिक गठबंधन है. बकौल अकरम अंसारी समाज की भलाई के लिए राजनीतिक पहुँच बहुत ज़रूरी होती है, अगर समाज के लोग विधानसभाओं और संसद में पहुँचते हैं तो अपने समाज की भलाई की बातों को सरकार के सामने मज़बूती से रख सकते हैं.

अकरम अंसारी ने कहा मोमिन अंसार सभा को मज़बूत बनाने में पिछले दस वर्षों से संगठन के जुझारू सदस्यों ने दिन रात एक करके के काम किया है और अब मौका आ गया कि बुनकर समाज अपना राजनीतिक हक़ हासिल करे.

जातीय जनगणना को एक साज़िश बताते हुए अकरम अंसारी ने कहा कि जैसे ही कास्ट सेंसस की बात उठी, वैसे ही राजनीतिक पार्टियों ने बड़े बड़े सम्मलेन शुरू कर दिए लेकिन किसी भी सम्मलेन में इन पार्टियों ने यह नहीं बताया कि हम इनको मज़बूत कैसे करेंगे। यह पार्टियां इन सम्मेलनों में भीड़ दिखाकर सिर्फ वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रही हैं.

इस पहले हुई कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया कि मोमिन अंसार महासभा का 11 वां अधिवेशन आगामी नवम्बर महीने में आयोजित होगा। कार्यकारिणी में मुख्य रूप से महामंत्री इकराम अंसारी , मैनुद्दीन अंसारी, फ़िरोज़ालाम कुशीनगर, अय्यूब अंसारी , रशीद कलीम गोरखपुर, हाफिज शाह आलम संत कबीरनगर, शब्बीर अंसारी गोण्डा, हाजी शकील अंसारी, नसीमुद्दीन अंसारी सीतापुर, परवेज़ अंसारी प्रिंस, कलीम अंसारी बहराईच, शफ़ीक़ अंसारी उन्नाव, मेराजुद्दीन अंसारी मेरठ, शमशुल कमर बदायूं, नवाब अंसारी, शादाब अंसारी सहारनपुर, मेहबूब आलम, ग़ुलाम मुस्तफा, अहमद सईद बाराबंकी, नजमुल अंसारी अब्दुल क़ादिर इलाहाबाद, रहमत लखनवी, क़वी खान, एजाजुल हसन, डॉ आसिफ कलाम, इसरार अहमद अधिवक्ता, बदरे आलम, रिज़वान अहमद, इमरान राजू, रईस अंसारी, मंसूर जमाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.