दिल्ली:
कोरोना महामारी के बाद से देश में कई प्रकार की दवाओं की की बिक्री और खपत काफी बढ़ गई हैं. लेकिन इनमें कई सारी मेडिसिन ऐसी भी हैं, जो लोग बिना डॉक्टरों की सलाह से ले रहे हैं और ये दवाएं कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी कर सकती है. इस खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने कैंसर होने की चिंता को लेकर लोकप्रिय एंटासिड सॉल्ट रैनिटिडिन को आवश्यक दवाओं की सूची से हटा दिया है. रैनिटिडीन लोकप्रिय रूप से एसीलोक, ज़िनेटैक, और रैंटैक ब्रांड नामों के तहत बेची जाती है, और आमतौर पर पेट दर्द से संबंधित समस्या के लिए इस दवा को लिया जाता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को आवश्यक दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) जारी की है, जिसमें 384 दवाएं शामिल हैं. इस बीच, सूची से हटाई गई 26 दवाओं का देश में अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. रैनिटिडीन कैंसर से संबंधित चिंताओं के लिए दुनिया भर में जांच के दायरे में है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के औषधि महानियंत्रक और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के साथ नमक को आवश्यक स्टॉक से बाहर निकालने के बारे में भी चर्चा की है. ये दवाएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं.
इस दवा की जांच 2019 से चल रही है जब अमेरिका स्थित खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने दवा में संभावित कैंसर पैदा करने वाले एसिड पाए थे. दवा नियामकों ने रैनिटिडिन युक्त दवाओं के नमूनों में कैंसर पैदा करने वाली अशुद्धता एननाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) को पाया गया था. जिससे कैंसर फैलने की आशंका रहती है. रैनिटिडिन के अलावा जिन अन्य दवाओं को सूची से हटाया गया है उसके कई प्रकार की गंभीर बीमारियां होने की आशंका है. इनमें कई दवाएं ऐसी भी हैं जिनकी काफी ज्यादा बिक्री होती है.
इस बीच नई आवश्यक सूची के साथ भारत में कई उच्च-मांग वाली दवाओं की कीमतों में कमी आने की संभावना है, जिसमें इंसुलिन ग्लार्गिन जैसी दवाएं हैं, जो डायबिटीज के इलाज में काम आती है. कुल 26 दवाओं को केंद्र सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची से हटाया है. जिसके बाद ये सभी दवाएं मान्य नहीं होगी.
हटाई गए 26 दवाएं
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