लखनऊ ब्यूरो
मुहर्रम की सातवीं मजलिस से ख़िताब करते हुए मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने क़ुरआने मजीद की आयात की रौशनी में सीरते पैग़म्बरे इस्लाम (स) को बयान किया और कहा कि क़ुरआने मजीद ने रसूल (स) की इताअत का हुक्म दिया हैं और कहा कि जो रसूल (स) तुम्हे दें उसे लेलो और जिससे मना कर दें उसे छोड़ दो।

मौलाना ने कहा कि हज़रत अली अ.स से ज़्यादा सुन्नते पैग़म्बर (स) की इत्तेबा और सीरते रसूल (स) पर अमल करने वाला कोई नहीं था। हज़रत अली अ.स की शान में रसूले ख़ुदा (स) की मोतबर और मुस्तनद हदीसे हैं कि आप (स) ने फ़रमाया कि मेरी उम्मत में सब से बेहतर फैसला करने वाला अली अ.स हैं। तुम्हारे बीच सबसे बड़ा बहादुर अली अ.स हैं। तुम में सबसे बड़ा आलिम अली इब्ने अबी तालिब अ.स हैं। अब इससे ज़्यादा और अज़मत क्या बयान होगी कि उम्मत का सबसे बड़ा आलिम हज़रत अली अ.स को कहा गया है। यही वजह है कि हज़रत अली अ.स ने मिम्बर पर सलूनी का दावा किया।

मौलाना ने हज़रत इमाम हसन अ.स की अज़मत बयान करते हुए कहा कि बनू उमय्या के मुहद्दिसीन और मुअर्रिक़ीन ने सब से ज़्यादा प्रोपेगेंडा और झूटी रिवायात इमाम हसन अ.स के लिए घढ़ी हैं। मुख़्तलिफ़ रावियों ने मुतज़ाद रिवायात नक़्ल की है जो उनके झूठ को साबित करने के लिए काफी है। बनू उमय्या ने झूटी रिवायात और फ़र्ज़ी हदीसों की पूरी फैक्ट्री क़ायम की थी जिसने इमाम हसन अ.स की अज़मत को छिपाने की नाकाम कोशिश की। मजलिस के आख़िर में मौलाना ने इमाम हसन अ.स के बेटे हज़रत क़ासिम अ.स की शहादत बयान की। मजलिस के बाद अज़ादारों ने नौहा ख़वानी और सीना ज़नी भी की।