लखनऊ:
भाकपा (माले) ने कहा है कि महिला आरक्षण बिल में संसद से पास होने के बाद तुरंत लागू होने का प्रावधान किया जाना चाहिए।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि आखिर इसे तत्काल लागू करने से रोक कौन रहा है। सरकार की नियत साफ नहीं है। सरकार ने इसे लागू करने के लिए दो शर्तें लगा दी हैं। पहला, यह आगामी जनगणना के बाद और दूसरा, जनगणना के बाद होने वाले परिसीमन (डिलिमिटेशन) के बाद लागू होगा। इन दोनों की तिथि अभी तय नहीं है। 2021 वाली जनगणना हुई नहीं। ऐसे में यह बिल पास होने के बाद भी लागू होने की बाट जोहता रहेगा। बिल भले ही आम चुनाव से ठीक पहले लाया गया हो, मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू नहीं होगा।

माले नेता ने कहा कि जिस आरक्षण के लिए महिला आंदोलन दशकों से संघर्ष कर रहा है और जिसे व्यापक राजनीतिक दायरे का समर्थन प्राप्त है, उसे इस तरह भाजपा सरकार की चुनावी कलाबाजी में पतित नहीं होने दिया जाएगा। सरकार इस बिल को पेश करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाकर गंभीरता का दिखावा कर रही है, लेकिन उसकी नियत का खुलासा हो गया है।