लखनऊ:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार के लिए किसान का हित सर्वोपरि है। इसके लिए राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। प्रदेश सरकार लगातार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि किसी भी स्थिति में अन्नदाता किसान की उपेक्षा न हो। प्रदेश सरकार बिना भेदभाव के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा का वातावरण प्रदान कर रही है। उत्तर प्रदेश के बारे में देश और दुनिया की धारणाएं बदली हंै। आज प्रदेश के किसी भी नागरिक के सामने पहचान का संकट नहीं है।

मुख्यमंत्री आज यहां विधान सभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस सत्र में अब तक कुल 33 सदस्यों ने सदन में चर्चा में भाग लिया है और बाढ़ और सूखा पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखे हैं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री तथा किसान नेता चैधरी चरण सिंह ने कहा था देश की प्रगति का मार्ग गांव, गलियों, खेत तथा खलिहानों से होकर जाता है। चैधरी चरण सिंह की बात को पूर्ववर्ती सरकार ने वास्तव मंे थोड़ा भी ध्यान में रखा होता, तो उत्तर प्रदेश के इतिहास मंे सर्वाधिक किसानों ने उनके कालखण्ड में आत्महत्या नहीं की होती।

मुख्यमंत्री जी ने रामकुमार वर्मा की देश के अन्नदाता किसानों के लिए समर्पित पंक्तियांे ‘हे ग्राम देवता, नमस्कार, सोने चांदी से नहीं, किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार, हे ग्राम देवता नमस्कार’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी से प्रेरित होकर डबल इंजन की सरकार कार्य कर रही है। डबल इंजन की सरकार ने प्रयागराज में एक भूमाफिया के कब्जे से जमीन को मुक्त करा कर 76 गरीबों को आवास उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग जन्म से चांदी के चम्मच से खाने के आदी हैं, वो गरीब, किसान, दलित की समस्या और उसकी पीड़ा को क्या समझंेगे। ऐसे लोगों में अति पिछड़ांे और पिछड़ों के साथ क्या व्यवहार किया था, यह पूरा देश जानता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में वर्षा का औसत 401 से 430 मिमी0 वार्षिक है। इस वर्ष जून माह से अब तक 353 मिमी0 बारिश हो चुकी है। लेकिन यह बारिश एक साथ, एक जगह पर मूसलाधार तथा कुछ ही समय में ही हो गई। जनपद गोरखपुर में कल एक दिन में ही 133 मिमी0 बारिश हुई है। अक्सर उत्तर प्रदेश में 15 से 20 जून के बीच मानसून प्रवेश करता था। हमारे अन्नदाता किसान उसी के अनुरूप अपनी तैयारी भी करते थे।

इस वर्ष मानसून की स्थिति बहुत अनुकूल और अच्छी नहीं रही है। आधा उत्तर प्रदेश ऐसा है, जहां पर सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। पश्चिम के कुछ जनपदों में ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन उसकी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शासन स्तर पर इस स्थिति पर बैठक कर रणनीति बनाई गई है। प्रारम्भ में उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में वर्षा के कारण हिमालयी नदियों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी। इसके कारण प्रदेश के विभिन्न जनपदों में फसलों को हुई क्षति के आकलन के आदेश दिए गए हैं। शासन स्तर पर इसके लिए कार्रवाई आगे बढ़ रही है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में देश के अन्य भागों की तुलना में स्थिति बेहतर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आबादी का 16 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में निवास करती है। देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 11 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में है। इसी 11 प्रतिशत भूमि से उत्तर प्रदेश का अन्नदाता किसान देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 20 प्रतिशत उत्पादित करता है। उत्तर प्रदेश के किसानों ने अपने परिश्रम तथा पुरुषार्थ से प्रदेश को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। उत्तर प्रदेश में 86 से 90 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचित है। नहरों, सरकारी नलकूपों तथा निजी नलकूपों से भी उन्हें आच्छादित किया गया है। सिंचाई की अतिरिक्त सुविधा होने तथा अतिरिक्त विकल्प होने का परिणाम है कि इस वर्ष लगभग 88 फीसदी फसलों की बुवाई हुई है। अब तक धान की 100 फीसदी नर्सरी लग चुकी है। कम बारिश के कारण होने वाले नुकसान के लिए सरकार के स्तर पर कार्रवाई आगे बढ़ रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को अधिक से अधिक सुविधा देनें के लिए लगातार प्रयास कर रही हैैैै। वर्ष 2017 से ही प्रदेश सरकार सूखे या बाढ़ की स्थिति में किसानों को मुआवजा देने का कार्य कर रही है। वर्ष 2017 में सूखा या बाढ़ के कारण जिन किसानों का नुकसान हुआ था ऐसे 61,320 किसानों को लगभग 60 करोड़ रुपये का मुआवजा उपलब्ध कराया गया था। वर्ष 2018-19 में भी प्रदेश के 3,84,113 किसानों को 212 करोड़ रुपए से अधिक, वर्ष 2019-20 में 64 करोड़ 32 लाख रुपये, वर्ष 2020-21 में 3,62,600 से अधिक किसानों को 120 करोड़ रुपये का मुआवजा सरकार ने उपलब्ध कराया था। वर्ष 2021-22 में प्रदेश सरकार ने 13,94,900 से अधिक किसानों को 475 करोड़ रुपये नुकसान की प्रतिपूर्ति के रूप में दिये थे। वर्ष 2022-23 में भी सरकार ने प्रदेश के 12,14,000 से अधिक किसानों को 427 करोड़ रुपये मुआवजे के रूप में वितरित किए। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष अब तक 8,400 से अधिक किसानों को बाढ़ के कारण क्षति होने पर मुआवजा दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाढ़ आई, लेकिन प्रदेश के 40 से अधिक जनपद सूखे की चपेट में थे। अनेक जगहों पर सिंचाई विभाग ने अपने स्तर पर प्रयास किया। पावर काॅरपोरेशन ने अतिरिक्त विद्युत सप्लाई की। शासन स्तर पर बैठके की गईं। नोडल अधिकारी और प्रभारी मंत्रियों ने जनपदों के दौरे किए। सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के कार्य किये। वर्ष 2017 से पहले तक बाढ़ पीड़ितों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता था। वर्ष 2017 में उन्होंने पीड़ितों के लिए एक राहत किट तैयार करने के निर्देश दिए। हर पीड़ित को 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 10 किलो आलू, दाल, तेल, नमक, मिर्च-मसाले, दियासलाई, बरसाती, मोमबत्ती तथा केरोसिन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई। महिलाओं के लिए डिग्निटी किट उपलब्ध करायी गई।