टीम इंस्टेंटखबर
केंद्र सरकार की ओर से कृषि कानून वापस लिए जाने का ऐलान किया जा चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म कर घर लौटने की अपील भी की थी लेकिन किसान वेट एंड वॉच की नीति पर चलते दिख रहे हैं. किसानों ने आंदोलन की दशा और दिशा पर चर्चा के लिए आज बैठक बुलाई थी. किसान संगठनों ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार MSP की गारंटी नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसान संयुक्त मोर्चा की बैठक के बाद इसका ऐलान किया गया. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद पहली बार हुई केएसएम की बैठक में MSP गारंटी, आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा और किसानों पर मुकदमे वापस लेने की मांग पर आम सहमति बनी.

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि बैठक में फैसला किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक खुल खत लिखा जाएगा, जिसमें किसानों की लंबित मांगों का उल्लेख किया जाएगा. उन्होंने बताया कि उस चिट्ठी में एमएसपी समिति, उसके अधिकार, उसकी समय सीमा, उसके कर्तव्य; विद्युत विधेयक 2020, और किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी का उल्लेख किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि चिट्ठी में लखमीपुर खीरी की घटना के संबंध में केंद्रीय मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को बर्खास्त करने की भी मांग करेंगे. राजेवाल ने बताया कि किसान संयुक्त मोर्चा अब 27 नवंबर को फिर से बैठक करेगा. उसके बाद स्थितियों को देखते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी.

जानकारी देते हुए बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि 22 नवंबर को महापंचायत, 26 नवंबर को आंदोलन के एक साल पूरे होने पर दिल्ली की हर सीमा पर गैदरिंग के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 29 नवंबर को संसद मार्च के कार्यक्रम को लेकर 27 नवंबर को होने वाली बैठक में फैसला लिया जाएगा.

बताया जाता है कि संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन को लेकर कोई भी फैसला किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं लेना चाहता. किसान नेता किसी भी तरह के औपचारिक ऐलान से पहले बुधवार को यानी 24 नवंबर की संभावित कैबिनेट मीटिंग तक इंतजार करना चाहते हैं. माना जा रहा है कि कैबिनेट की इस मीटिंग में कृषि बिल वापस लेने के फैसले को औपचारिक मंजूरी दी जा सकती है.