कानपुर के बिकरु गांव में हुई मुठभेड़ में बदमाशों ने साजिश के तहत पुलिस टीम पर हमला किया और फिर पूरी बर्बरता से आठ पुलिसकर्मियों को मौत की नीड सुला दिया। हालात की क्रूरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि बिकरु गांव में इस मुठभेड़ के मास्टरमाइंड विकास दुबे के घर के आसपास सड़कों पर खून बिखरा हुआ था।

सीओ का दुर्भाग्य
जांच में पता चला है कि जब बदमाशों ने अंधेरे का फायदा उठाकर पुलिस टीम पर चारों तरफ से हमला कर दिया तो पुलिसकर्मी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे। पुलिस टीम का नेतृत्व कर रहे सीओ देवेंद्र मिश्र इस दौरान दीवार फांदकर बगल के घर में जा छिपे। दुर्भाग्य से यह घर विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडेय का था।

मारने के बाद अंग भंग किया
इसके बाद कुछ बदमाश सीओ के पीछे पीछे उस घर में घुसे और सीओ को पकड़कर उनका सिर दीवार से सटाकर गोली मार दी। इतना ही नहीं इसके बाद उनके शव को घसीटकर घर के बाहर लाया गया और उनके पैर को कुल्हाड़ी से काट दिया गया। वहीं सीओ के साथ घर में घुसे चार सिपाहियों को भी बदमाशों ने सीओ के सामने ही गोली मार दी थी।

लाश जलने का प्रयास
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, बदमाश पुलिसकर्मियों को मारकर उनके शव जलाने के प्रयास में थे। यही वजह थी कि बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के शव एक जगह एक के ऊपर एक रखे हुए थे। पुलिस की गाड़ियों को भी फूंकने की तैयारी थी लेकिन तभी वहां मौके पर भारी पुलिस बल पहुंच गया और बदमाशों को वहां से भागना पड़ा।

बाथरूम में मिले शव
मौके पर जब भारी पुलिस बल पहुंचा तो पुलिसकर्मियों की खोजबीन शुरू हुई। सभी घायलों और शवों को अस्पताल भेजा गया लेकिन तब तक सीओ और एसओ के बारे में कुछ पता नहीं चल सका था। इसके बाद जब खोजबीन की गई तो सीओ का शव विकास के मामा के घर में मिला। वहीं एसओ का शव सड़क किनारे बने एक बाथरूम में पाया गया।

सुनियोजित योजना से हुआ हमला
पुलिस टीम पर हमले की बदमाशों की योजना इतनी सुनियोजित थी कि पुलिस के गांव में पहुंचने से पहले ही पूरे गांव की स्ट्रीट लाइटें बंद कर दी गई। जिसके चलते अंधेरे में पुलिसकर्मियों पर घात लगाकर हमला किया गया। पुलिसकर्मी अंधेरे के चलते भाग नहीं पाए और बदमाशों ने उन्हें घेरकर बर्बरता से मार डाला।