हैदराबाद:: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा, ‘बाराबंकी जिले में ग़रीब नवाज़ मस्जिद का घाव अभी भरा भी नहीं था की मुज़फ्फरनगर के खतोली में जमील मस्जिद भी शहीद हो गई थी.

मौलाना रहमानी ने कहा कि स्थानीय पुलिस ने बिना किसी जांच के इसे सरकारी जमीन घोषित कर मस्जिद को शहीद कर दिया, जबकि जमीन वक्फ बोर्ड में पंजीकृत है और ट्रस्टी के पास दस्तावेज हैं. उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कानूनी कार्रवाई के लिए स्थिति की समीक्षा कर रहा है, और मांग की है कि उत्तर प्रदेश सरकार ट्रस्टी को जमीन सौंप दे। इस मामले में दोषी अधिकारीयों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों से मस्जिदों के दस्तावेज तैयार करने और यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि उन्हें सुरक्षित रखा जाए। ताकि मस्जिदों को सांप्रदायिक, कट्टर और अज्ञानी पुलिस अधिकारियों से बचाया जा सके।

वहीँ AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यूपी के मुजफ्फरनगर में सरकार ने एक मस्जिद को गिराने का काम किया है। तंज कसते हुए ओवैसी ने कहा कि सरकार कोरोना से मरने वालों का तो अंतिम संस्कार नहीं कर पा रही है। लेकिन मुसलमानों पर जुल्म कर रही है।

ओवैसी ने इस बारे में चार किये, “उ.प्र के खतौली, मुजफ्फरनगर में मस्जिद को SDM इन्द्रकांत द्विवेदी ने शहीद कर दिया।मस्जिद वक़्फ़ की ज़मीन पर बनाई गयी थी।5 महीनों से मस्जिद में नमाज़ अदा की जा रही थी।लॉकडाउन में भी नमाज़ पढ़ी जा रही थी।मस्जिद को शहीद करने से पहले मुतवल्ली से वक़्फ़ के काग़ज़ात तक नहीं मांगे गए

बाराबंकी के बाद ये दूसरी मस्जिद है जो उ.प्र में शहीद कर दी गयी है। बाराबंकी में मस्जिद को शहीद इस बहाने से किया गया की मस्जिद सरकारी ज़मीन पर बनी है हालांकि मस्जिद के ज़िम्मेदारों के पास वक़्फ़ के तमाम काग़ज़ात थे।

हाई कोर्ट ने भी बाराबंकी की मस्जिद को मिस्मार करने पर और नमाज़ियों को बेदखल करने पर 31 मई तक रोक लगायी थी।

लेकिन मुज़फ्फरनगर में तो मस्जिद भी वक़्फ़ के ज़मीन पर थी, फिर भी शहीद कर दी गयी।

ज़ाहिर सी बात है के उ.प्र के मुख्यमंत्री अपनी ज़िम्मेदारियों को सम्भाल नही पा रहे हैं। अस्पतालों में डॉक्टर का इंतज़ाम नहीं, नौजवान बेरोज़गार बैठे है, लोगों को सम्मान से अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हो रहा। मुसलमानों पर ज़ुल्म करने के सिवाय, मुख्यमंत्री को ज़्यादा कुछ नहीं आता।