प्रे. रि.
लखनऊ: सोसायटी फाॅर एनिमल्स वेलफेयर संस्था के विशेष सलाहकार का पद ग्रहण करने के लिए आल इण्डिया मोहम्मदी मिशन यूथ अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ किछौछवी का आभार प्रकट करते हुए संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा शबा बानो ने कहा कि आज मुझे बेहद प्रसन्नता है कि मेरी संस्था के कार्यो से प्रेरित होकर अहमद मियाॅ ने बेजुबानों के प्रति अपना स्नेह, सहानुभूति एवम् उत्तरदायित्व को हमारे समक्ष रखा।

आल इण्डिया मोहम्मदी मिशन यूथ अध्यक्ष हज़रत सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ ने कहा कि प्रदेश व केन्द्र सरकार जीव-एव जन्तु की रक्षा एवं सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता अभियान चलाए क्योकि बेजु़बान पशु अल्लाह की नेमत है इनकी सुरक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है और जो लोग इस कार्य में लगें है सरकार उन्हें विशेष सुविधा के साथ सम्मानित करें ताकि दूसरे को इससे प्रेरणा मिले।

यह बातें उन्होंने सोसायटी फाॅर एनिमल्स वेलफेयर संस्था के विशेष सलाहकार का पद ग्रहण करने के समय कहीं। इस मौके पर सोसायटी फाॅर एनिमल्स वेलफेयर संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा शबा बानो ने कहा कि आज मुझे बेहद प्रसन्नता है कि मेरी संस्था के कार्यो से प्रेरित होकर अहमद मियाॅ ने बेजुबानों के प्रति अपना स्नेह, सहानुभूति एवम् उत्तरदायित्व को हमारे समक्ष रखा।

बेजुबान पशु पछी न सिर्फ इन्सान बल्कि पर्यावरण के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसी क्रम में हज़रत अहमद मियाॅ ने कहा कि पैगम्बर इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्ललाहों अलेही वसल्लम ने बेजुबान पशु पक्षी के लिए बड़ी हिदायत दी है।

एक बार कुछ लोग हज़रत मोहम्मद सल्ललाहों अलेही वसल्लम के पास इस्लाम धर्म अपना ने के लिए आए और इस्लाम धर्म ग्रहण करने के बाद उन लोगों ने पैगम्बर इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्ललाहों अलेही वसल्लम से पुछा कि अब हमें क्या करना चाहिए तो आपने फरमाया कि नमाज़ कायम करो और अपने नाखुनों को काटा करो. उन लोगों ने पैगम्बर इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्ललाहों अलेही वसल्लम से सवाल किया ऐ अल्लाह के रसूल नमाज तो अल्लाह की इबादत है लेकिन अपने नाखून क्यों काटने का हुक्म दिया, आपने फरमाया कि तुम लोग दूध दुहने का काम करते हो और जब तुम्हारे नाखून बड़े होगे तो दुध दुहते समय तुम्हारे नाखुन बेजुबान पशु के थन में चुभेगें इससे उनको तकलीफ पहुचेगी लेहाज़ा जब दुध दुहो तो नाखुन कटे होने चाहिए। पैगम्बर इस्लाम कि इस शिक्षा हमें सबक लेना चाहिए कि पैगम्बर इस्लाम जब किसी बेजुबान पशु की तकलीफ को महसूस कर सकते है तो उनका मज़हब कैसी किसी बेगुनाह के कत्ल की इजाज़त दे सकता है।