नयी दिल्ली: ईद और ईदुल अज़हा की तरह इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) ने मुहर्रम के पावन महीने पर जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि यह महीना समाज के एक बड़े वर्ग के लिए काफी महत्व रखता है। IMPAR ने मुहर्रम के लिए दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि लोगों को इस पवित्र महीने में इस बात का पूरा ख़्याल ईद और ईदुल अज़हा की तरह रखना चाहिए कि इस वैश्विक महामारी कि किसी गाइड लाइन का उलंघन न हो और केंद्र और राज्य सरकारों ने जो गाइड लाइन जारी की है उस के अनुरूप ही इस पवित्र महीने के धार्मिक प्रोग्राम आयोजित किये जाएं।
IMPAR ने मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि विशेषज्ञों, समुदाय के नेताओं, उलेमा, स्वास्थ्य चिकित्सकों और समुदाय के हितधारकों के स्थानीय और वैश्विक विचारों के परामर्श से दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। IMPAR ने कहा है कि वह इस बात को स्वीकार करता है कि यह सभी समुदायों के लिए अपने समारोहों और त्योहारों को प्रतिबंधित करने के लिए एक चुनौती है, लेकिन वायरस की रोकथाम में अपना योगदान देना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
IMPAR ने कहा है कि जो लोग मुहर्रम के दौरान सार्वजनिक प्रेक्षणों के लिए दबाव डाल रहे हैं, उन्हें यह सोचना होगा कि अगर कोरोना प्रसार में मुहर्रम के बाद तेज़ी आयी तो इस की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? क्या वह लोग लेने के लिए तैयार हैं ? IMPAR नजफ की परम पवित्रता, अयातुल्लाह सीस्तानी साहब के आदेश को पुरजोर समर्थन करता है कि इस वर्ष अभूतपूर्व परिस्थितियों में, लोगों को मुहर्रम को निजी तौर पर देखना चाहिए और ऑनलाइन मजलिस और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।
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