लखनऊ: रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान मस्जिदे अक़्सा में जारी इजरायली आतंकवाद और मज़लूम फिलिस्तीनियों पर सैन्य आक्रमण की निंदा करते हुए मजलिसे उलेमाए हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि इज़रायली सेना ने मस्जिदे अक़्सा और मज़लूम फिलिस्तीनी लोगों पर घातक हथियारों से हमला करके अपने आतंकवाद का स्पष्ट सबूत पेश किया है।

इज़रायल की फौजी आक्रामकता की निंदा करते हुए मौलाना ने कहा कि इज़रायल दुनिया का एकमात्र ऐसा राज्य है जो आतंकवाद के आधार पर अस्तित्व में आया है। उसके पहले तीन प्रधानमंत्री ऐसे व्यक्ति थे जिन पर ब्रिटिश सरकार ने हजारों पाउंड का इनाम रखा था। जाहिर है, ऐसा राज्य कभी अम्न अैार इंसाफ की मिसाल नहीं हो सकता। मौलाना ने कहा कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान, फिलिस्तीनी मुसलमान मस्जिदे अक़्सा में एतेकाफ करते है,दुआऐं मांगी जाती है,नमाज़ पढने के लिये लोग जमा होते है। विशेष रूप से अलविदा जुमे को हजारों लोग मस्जिदे अक़्सा में नमाज अदा करते हैं। अलविदा जुमे से शुरू हुई इज़रायली सेना की बर्बरता आज भी जारी है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा की जानी चाहिए, लेकिन सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष देश और मानवाधिकार संगठनों ने इस क्रूरता और बर्बरता की निंदा तक नही की है। फिलिस्तीनी जनता आज़ादी चाहती हैं, लेकिन इज़रायल, जिसने उनकी जमीन पर ज़ुल्म और आतंक के साथ कब्जा कर लिया है, उनकी इस मांग को अपनी सैन्य ताक़त और आतंकवाद के बल पर दबाना चाहता लेकिन यह संभव नहीं है। इंशाल्लाह, वह दिन दूर नहीं जब येरुशलम आज़ाद होगा और इज़रायल तबाहो बरबाद हो जायेगा।

मौलाना ने कहा कि इस वर्ष कुद्स दिवस के अवसर पर,रेहबरे इन्किलाबे इस्लामी अयातुल्ला खामेनेई ने कहा थ कि इज़रायल एक देश नहीं बल्कि आतंकवाद का अड्डा है। मस्जिदे अक़्सा और निहत्थे फिलिस्तीनी लोगों पर हमला करके, इजराइल ने साबित कर दिया है कि वह ज़ालिमों का सरबराह और आतंकवाद का संस्थापक है।