डॉ. क्षितिज मुर्डिया
मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक
इंदिरा आईवीएफ

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) स्त्रीओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली एक स्थिति है जिससे प्राथमिक रूप से अंडाशय पर प्रभाव पड़ता है। इसका व्यापक प्रभाव अन्य स्वास्थ अवस्थाओं पर भी हो सकता है और यह कार्डियोवैस्कुलर रोग तथा मोटापे का भी कारण बन सकता है। PCOS गर्भाधान की आयु की महिलाओं में बहुत आम है और भारत में पांच महिलाओं में एक महिला इस से ग्रस्त है ।

महिलाओं के स्वास्थ पर PCOS के कुछ होने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं:

o अनियमित मासिक धर्म: यह ऐसे लक्षण हैं जिन्हें PCOS वाली महिलाएं अधिकांश अनुभव करती हैं। इसका कारण हार्मोनल असंतुलन है, जिसमें बढ़ी हुई टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (ओवुलेशन के लिए), एस्ट्रोजन, और फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) के निचले स्तर शामिल हैं। इस तरह की स्थितियों में, मासिक धर्म नियमित अंतरालों में नहीं होते हैं।

o वजन बढ़ना: PCOS का एक अन्य प्रमुख प्रभाव वजन का बढ़ना है । जब शरीर अत्यधिक चर्बी संग्रहित करता है, तो व्यक्ति को मधुमेह, कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने की संभावना होती है। वजन बढ़ने का सीधा कारण PCOS नहीं होता, लेकिन यह PCOS के कारण हो सकता। अतिरिक्त शारीरिक मोटापे को दूर रख PCOS संबंधित जटिलताओं से बचा जl सकता है।

o अत्यधिक बालों की वृद्धि और बालों का गिरना: हिर्सटिज्म (Hirsutism) चेहरे पर अत्यधिक बालों की वृद्धि को सूचित करता है। चेहरे पर बालों की वृद्धि एंड्रोजेन्स के कारण होती है, जो पुरुष हार्मोन होते हैं। PCOS वाली महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन जैसे अंड्रोजेन्स के स्तर अधिक होते हैं, जिसके कारण हिर्सटिज्म हो सकता है। PCOS वाली महिलाएं अपने शरीर के अन्य हिस्सों में अत्यधिक बाल उगने की समस्या से परेशान होती है जबकि उनके सिर पर कम बाल होते हैं। वे पुरूषों की तरह गंजापन का भी शिकार हो सकती है।

o मुँहासे: त्वचा सम्बन्धी समस्याएं PCOS वाली महिलाओं में आम होती हैं। महिलाओं में पुरुष हार्मोनों के उच्च स्तर के कारण, मुँहासे, त्वचा का काला पड़ना, और चेहरे, सीना, तथा पीठ पर त्वचा टैग का आना हो सकता हैं।

o त्वचा समस्याएँ: PCOS संबंधित हार्मोनल परिवर्तनों के कारण हार्मोनल, सिस्टिक, कॉमेडोजेनिक मुँहासे, तैलीय त्वचा, काले हड्डियाँ, सूखे होंठ, लाली, और अन्य समस्याएँ आ सकती हैं। PCOS के लिए दवाओं का सेवन भी इनमें से कुछ लक्षणों का कारण बन सकता है।

o बांझपन: PCOS फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है क्योंकि PCOS वाली महिलाएं एक निश्चित तिथि पर ओवुलेट नहीं करती हैं और उनके हर महीने ओवेरियन्स के उच्च एस्ट्रोजन उत्पाद के कारण अंडा की रिलीज में देर हो सकती है। PCOS महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन सभी PCOS वाली महिलाएं बांझ नहीं होतीं; कुछ प्राकृतिक रूप से , एवम बिना फर्टिलिटी उपचार की आवश्यकता के गर्भाधारन कर लेती है।

o मधुमेह: PCOS की महिलाओं में विकसित होने वाला इंसुलिन प्रतिरोध, जो महिलाओं में होता है, टाइप 2 मधुमेह रोग का प्रमुख कारक बनता है। मधुमेह रोगियों को जीवनपर्यन्त अपने ब्लड शुगर लेवल की निगरानी, कार्बोहाइड्रेट युक्त खान पान में नियंत्रण, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और दवा लेते रहने के नियमो का पालन करने की आवश्यकता होती है। मधुमेह से आपकी नर्वस सिस्टम को नुकसान, आँखों को नुकसान, गुर्दे की समस्याएँ, और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के चांसेस भी बढ़ जाते हैं।

o कार्डियोवैस्कुलर बीमारियाँ: PCOS वाली महिलाओं मे उच्च रक्तचाप, सख्त और बंद धमनियां, ह्रदय को हानि पहुँचाने वाले एलडीएल कॉलेस्ट्रोल के उच्च स्तर, और सुरक्षित एचडीएल कॉलेस्ट्रोल के कम स्तर जैसे स्वस्थ सम्बन्धी रोगों के होने की अधिक संभावना होती है जो अनियंत्रित मधुमेह के परिणामस्वरूप होता है।

o नींद अपनिया और थकान: PCOS वाली महिलाओं मे रात को पसीने, अनिद्रा, और नींद अपनिया से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती हैं, जिसमें व्यक्ति नींद में होते समय कुछ समय के लिए सांस लेना बंद कर देता देता है।

o भावनात्मक तंगी: PCOS वाली महिलाओं मे चिंता, एन्साइटी, डिप्रेशन, कम ऊर्जा, और खानपान की बीमारियों की अधिक संभावना होती हैं जो असंतुलित हार्मोन, फर्टिलिटी प्रॉब्लम, वजन बढ़ना इत्यादि कारणों से हो सकता है।