यौमे पैदाईश पर ख़ास
मोहम्मद आरिफ नगरामी

यौमे पैदाईश पर ख़ास 
मोहम्मद आरिफ नगरामी

उर्दू शेयर व अदबद की नराबगये रोजगार अब्करी शख्सियत, मुशायरों की मेयारी नेजामत के लिये मशहूर हिदुस्तान के आलमी शोहरतयाफता शायर, मुसन्निफ, दानिशवर ओैर माहिरे तालीम प्रो0 मलिक जाादा मन्जूर अहमद का कल 17 अक्त्ूबर को जन्म दिन है। बे लौस उर्दू अदब की खिदमत करने वाले प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद का यौमे पैदाईश नेहायत ही अकीदत व एहतेराम के साथ पूरी उर्दू दुनियाम में मनाया जायेगा। जलसों, सेमिनारों ओेैर शेयरी नशिस्तों मेें उर्दू अदब के लिये कीजाने वाली उनकी शानदार ओर नाकाबिले फरामोश  खिदमात पर रोशनी डाली जायेगी। मुल्क के मारूफ मुहक्किक, मुमताज दानिशवर, प्रो0 मलिक जादा मन्जूर  अहमद 17 अक्तूबर 1929 को जिला फैजाबाद में दरगाह कछोछे शरीफ से मुत्तसिल मौजा भदहटर में पैदा हुये। बचपन से ही आप बेहद जहीन थे। इस लिये तालीम के मैदान में भी  कामयाबी उनके कदम चूमती रही। प्रो0 मलिक जादा साहब ने जार्ज इस्लामिया कालेज और सेंट एण्ड डयूज  कालेज गोरखपुर से अंग्रेजी , उर्दू अदबियात ओर तारीख में एम0ए0 करके डॉ0 आफ फिलास्मी की डिग्री हासिल की। दौराने तालीम उन्होंने उर्दू जबान व अदब  ओर शोर व सोखन का बहुत गहराई से मुताला किया और शायरी की सबसे खूबसूरत सिन्फे गजल से अपने अदबी सफर का  आगाज किया। प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद शरीफ जादे हर समाज के शहजादे, इन्सानियत की ऐसी जीती जागती तसवीर थे जिसको मासूमियात से ताबीर किया जा सकता है। हर एक से मिलना जुलना, चाहे कोई राहगीर हो मुसाफिर हो, अदना हो, आला हो, सबसे एक मसावती जज्बे के साथ मिलते थे। ऐसी नायाब और सादा लोह शख्सियात दौरे हाजिर में नापैद हैं। प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद को खुदाये नेजामत का एक ऐसा अनोखा अन्दाज बख्शा था जिसका मुकाबला, अब तक कोई नहंी कर सका। 
	प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद साहब मरहूम, शायर, अदीब, नक्काद,और नसरी मैदान के भी सूरमा थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी में तलबा को उर्दू की तालीम ही नहंी दी किताबे ही नहीं तस्नीफ कीं अपनी नेजामत से मुशायरों को वेकार ही नहीं बख्शा बल्कि उत्तर प्रदेश में उर्दू को उसका आईनी हक दिलाने के लिये उर्दू राब्ता कमेटी के बैनर से रियासतगीर तहरीक चलायी। वह जबान व कलम दोनों के धनी थे, शहरे सोखन के नाम से उनका शोअरा का तजकिरा, मौलाना आजाद पर उनका तहकीकी मकाला, उनके मजामीन उनको लोगों के दिलों में हमेशा जिन्दा रखने के लिये बहुत काफी हैं। प्रो0 मलिकजादा साहब उर्दू जबान के आशिके सादिक थे। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से उनकी खिदमात काबिले शताइश हैं। दानिशवर, नक्काद, और शायर की हैसियत से मलिक जादा साहब को आलमी शोहरत ओैर मकबूलियत नसीब हुयी।किसी भी मुशायरे की कामयाबी की जमानत, की जमानत समझे जाते थे। वह नेहायत नफीस और नस्तालीक शख्सियत के मालिक थे। वह उर्दू जबान व अदब के तहजीबी सफीर थे। प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद साहब,एक बहुत ही कामयाब मोदर्रिस और मुलल्लिम भी थे।उनकी मुअल्लिमाना तरबियत ने बेशुमार जर्रों को आुफताब व माहेताब बना दिया। कतरों को गौहरे आबदार में तब्दील कर दिया। उन्होंने उर्दू जबान व अदब के बहुत से कीमती हीरे जवाहिरात तैयार किये। उनके कामयाबतरीन शागिर्दो की तादाद 20 या 100 नहंी बल्कि हजारों में हैं। हमारी खुशनसीबी है कि उन्होंने हमारे बडे भाई प्रो0 मोहम्मद यूनुस नदवी नगरामी को लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढाया ओैर अपने रिटायर होने के आखिरी अयाम में हमको भी पढाया। प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद कदीम तअल्लुकात और रवायतों को बहुत ज्यादा अहमियत देते थे। मुझे याद है कि जब समाजवादी पार्टी क कौमी सदर, मुलायम सिंह यादव ने अपने पहले दौरे एक्तेदार में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का चेयरमैन बनाया तो उस्तादे मोहतरम प्रो0 मलिकजादा मनजूर अहमद ने बजाते खुद नगराम हाऊस लखनऊ में आकर मुबारकबाद पेश की और इन्तेहाई खुशी और मुसर्रत का इजहार किया। 
प्रो0 मलिकजदा मन्जूर अहमद साहब एक बहुत बडे इन्सान थे। रवादारी उनके कूट कूट कर भरी हुयी थी। पूरी दुनिया में मशहूर और मकबूल होने के बावजूद गुरूर व तकब्बुर और घमण्ड उनमें जर्रा बराबर छू कर नहंी गया था। निस्फ सदी तक मुशायरों के स्टेज पर अपनी मसहूरकुन आवाज का जादू बिखेरने वाले प्रो0 मलिक जादा साहब उर्दू के ऐसे तहजीबी सफीर थे जिन्होंने दुनिया के कोने कोने में उर्दू को पहुंचाया। अल्लाह तआला से दुआ है  िकवह हमारे उस्तादे मोहतरम प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद को जन्नतुल फिरदौस में आला दर्जात अता फरमायें और उनकी मगफिरत फरमायें और मसमांदगान को खासकर परवेज मलिकजादा मनजूर अहमद और जावेद मलिकजादा को सुकूने कल्ब अता फरमायें। आमीन।

उर्दू शेयर व अदबद की नराबगये रोजगार अब्करी शख्सियत, मुशायरों की मेयारी नेजामत के लिये मशहूर हिदुस्तान के आलमी शोहरतयाफता शायर, मुसन्निफ, दानिशवर ओैर माहिरे तालीम प्रो0 मलिक जाादा मन्जूर अहमद का कल 17 अक्त्ूबर को जन्म दिन है। बे लौस उर्दू अदब की खिदमत करने वाले प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद का यौमे पैदाईश नेहायत ही अकीदत व एहतेराम के साथ पूरी उर्दू दुनियाम में मनाया जायेगा। जलसों, सेमिनारों ओेैर शेयरी नशिस्तों मेें उर्दू अदब के लिये कीजाने वाली उनकी शानदार ओर नाकाबिले फरामोश खिदमात पर रोशनी डाली जायेगी। मुल्क के मारूफ मुहक्किक, मुमताज दानिशवर, प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद 17 अक्तूबर 1929 को जिला फैजाबाद में दरगाह कछोछे शरीफ से मुत्तसिल मौजा भदहटर में पैदा हुये। बचपन से ही आप बेहद जहीन थे। इस लिये तालीम के मैदान में भी कामयाबी उनके कदम चूमती रही। प्रो0 मलिक जादा साहब ने जार्ज इस्लामिया कालेज और सेंट एण्ड डयूज कालेज गोरखपुर से अंग्रेजी , उर्दू अदबियात ओर तारीख में एम0ए0 करके डॉ0 आफ फिलास्मी की डिग्री हासिल की। दौराने तालीम उन्होंने उर्दू जबान व अदब ओर शोर व सोखन का बहुत गहराई से मुताला किया और शायरी की सबसे खूबसूरत सिन्फे गजल से अपने अदबी सफर का आगाज किया। प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद शरीफ जादे हर समाज के शहजादे, इन्सानियत की ऐसी जीती जागती तसवीर थे जिसको मासूमियात से ताबीर किया जा सकता है। हर एक से मिलना जुलना, चाहे कोई राहगीर हो मुसाफिर हो, अदना हो, आला हो, सबसे एक मसावती जज्बे के साथ मिलते थे। ऐसी नायाब और सादा लोह शख्सियात दौरे हाजिर में नापैद हैं। प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद को खुदाये नेजामत का एक ऐसा अनोखा अन्दाज बख्शा था जिसका मुकाबला, अब तक कोई नहंी कर सका।
प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद साहब मरहूम, शायर, अदीब, नक्काद,और नसरी मैदान के भी सूरमा थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी में तलबा को उर्दू की तालीम ही नहंी दी किताबे ही नहीं तस्नीफ कीं अपनी नेजामत से मुशायरों को वेकार ही नहीं बख्शा बल्कि उत्तर प्रदेश में उर्दू को उसका आईनी हक दिलाने के लिये उर्दू राब्ता कमेटी के बैनर से रियासतगीर तहरीक चलायी। वह जबान व कलम दोनों के धनी थे, शहरे सोखन के नाम से उनका शोअरा का तजकिरा, मौलाना आजाद पर उनका तहकीकी मकाला, उनके मजामीन उनको लोगों के दिलों में हमेशा जिन्दा रखने के लिये बहुत काफी हैं। प्रो0 मलिकजादा साहब उर्दू जबान के आशिके सादिक थे। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी और फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के चेयरमैन की हैसियत से उनकी खिदमात काबिले शताइश हैं। दानिशवर, नक्काद, और शायर की हैसियत से मलिक जादा साहब को आलमी शोहरत ओैर मकबूलियत नसीब हुयी।किसी भी मुशायरे की कामयाबी की जमानत, की जमानत समझे जाते थे। वह नेहायत नफीस और नस्तालीक शख्सियत के मालिक थे। वह उर्दू जबान व अदब के तहजीबी सफीर थे। प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद साहब,एक बहुत ही कामयाब मोदर्रिस और मुलल्लिम भी थे।उनकी मुअल्लिमाना तरबियत ने बेशुमार जर्रों को आुफताब व माहेताब बना दिया। कतरों को गौहरे आबदार में तब्दील कर दिया। उन्होंने उर्दू जबान व अदब के बहुत से कीमती हीरे जवाहिरात तैयार किये। उनके कामयाबतरीन शागिर्दो की तादाद 20 या 100 नहंी बल्कि हजारों में हैं। हमारी खुशनसीबी है कि उन्होंने हमारे बडे भाई प्रो0 मोहम्मद यूनुस नदवी नगरामी को लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढाया ओैर अपने रिटायर होने के आखिरी अयाम में हमको भी पढाया। प्रो0 मलिक जादा मन्जूर अहमद कदीम तअल्लुकात और रवायतों को बहुत ज्यादा अहमियत देते थे। मुझे याद है कि जब समाजवादी पार्टी क कौमी सदर, मुलायम सिंह यादव ने अपने पहले दौरे एक्तेदार में उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का चेयरमैन बनाया तो उस्तादे मोहतरम प्रो0 मलिकजादा मनजूर अहमद ने बजाते खुद नगराम हाऊस लखनऊ में आकर मुबारकबाद पेश की और इन्तेहाई खुशी और मुसर्रत का इजहार किया।
प्रो0 मलिकजदा मन्जूर अहमद साहब एक बहुत बडे इन्सान थे। रवादारी उनके कूट कूट कर भरी हुयी थी। पूरी दुनिया में मशहूर और मकबूल होने के बावजूद गुरूर व तकब्बुर और घमण्ड उनमें जर्रा बराबर छू कर नहंी गया था। निस्फ सदी तक मुशायरों के स्टेज पर अपनी मसहूरकुन आवाज का जादू बिखेरने वाले प्रो0 मलिक जादा साहब उर्दू के ऐसे तहजीबी सफीर थे जिन्होंने दुनिया के कोने कोने में उर्दू को पहुंचाया। अल्लाह तआला से दुआ है िकवह हमारे उस्तादे मोहतरम प्रो0 मलिकजादा मन्जूर अहमद को जन्नतुल फिरदौस में आला दर्जात अता फरमायें और उनकी मगफिरत फरमायें और मसमांदगान को खासकर परवेज मलिकजादा मनजूर अहमद और जावेद मलिकजादा को सुकूने कल्ब अता फरमायें। आमीन।