‘ख़ुमार’ का सुरूर ऐसा था कि उतरने का नाम ही नहीं लेता था। शायद इसीलिए किसी ने कहा कि ‘खुमार, आपका तखल्लुस गलत है। सुरूर होना चाहिए था।’ क्योंकि ‘ख़ुमार’ के उतरने